रोज़नामा सियासत की जानिब से जदीद पैराया में हर जुमा को सियासत मज़हबी एडीशन की इशाअत की इबतदा-ए-की गई है । पहला शुमारा मौरर्ख़ा 30 मार्च 2012 ज़ेर नज़र है । ये एडीशन 8 सफ़हात पर मुश्तमिल है । उलमाए किराम ने हर दौर में इस्लामी मुआशरा में अहम किरदार अदा किया है । दौर-ए-हाज़िर में आलमी सतह पर इस्लाम की जो मुख़ालिफ़त मंसूबा बंद तरीका पर की जा रही है इस के पेश नज़र उलमाए किराम की ख़िदमात अहमियत की हामिल हैं ।
आज भी उलमाए किराम की आवाज़ में इतना असर है और आपसी क़ुव्वत मौजूद है कि वो ना सिर्फ मुस्लमानों के बल्कि आलमे इंसानियत के मौक़िफ़ को बेहतर कर सकते हैं और तारीख के धारे को बदल सकते हैं । एसे मैं उलमाए हक़ की आवाज़ और उन के मसलक एतिदाल के पयाम को अवाम तक पहुंचाना वक़्त की ज़रूरत है । जनाब ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर रोज़नामा सियासत मुबारकबाद के मुस्तहिक़ हैं कि उन्हों ने इस अहम ज़रूरत को महसूस किया और इस को मज़हबी एडीशन की इशाअत के ज़रीया अमली जामा पहनाया ।
पहले शुमारा के एक मज़मून पैग़ाम इस्लाम की जो मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम सिद्दीकी तसख़ीर का मर्तबा है तारीफ करने को जी चाहता है । दूसरे मज़ामीन भी आला मेआर के हामिल हैं । मुख़्तलिफ़ अक़्वाम आलम ने यके बाद दीगरे पर्चम दीन को बुलंद क्या । मेरी अपनी बा सलाहियत क़ौम को भी ये सआदत इंशाअल्लाह ज़रूर हासिल होगी ।
मुसलमानान हिंद का ये फ़रीज़ा है कि इस अज़ीम इमकान को हक़ीक़त बनाने के लिए फ़िरासत मोमिन के रास्ता हमवार करें । राक़िम उल-हरूफ़ का इकान् है कि मुस्तक़बिल हमारा है । इस्लामी निशात सानिया होगा और जल्द होगा । असर-ए-हाज़िर के असरात ख़ुद उस की राह हमवार कर रहे हैं ।
ज़रूरत है कि सियासत मज़हबी एडीशन के ज़रीया इस तसव्वुर को नौजवानों के सामने रखा जाय और इस एडीशन के मज़ामीन के ज़रीया नौजवानों को ज़हनी तौर पर तय्यार करें कि इस राह में अपनी अपनी सलाहियत के मुताबिक़ जद्द-ओ-जहद करें । जब नौजवानों के सामने एक लायह-ए-अमल रखा जाय तो उन की सारी तो इंयां यकसूई के साथ रूबा अमल आएंगी ।।
** डाक्टर अक़ील हाश्मी साबिक़ सदर शोबा उर्दू जामिआ उस्मानिया ने अपने एक बयान में कहा कि जुमा मौरर्ख़ा 30 मार्च को मज़हबी एडीशन का नया अंदाज़ ख़ूबसूरत ही नहीं मालूमात अफ़ज़ा-ए-भी है ।
तारीख ज़वाल उम्मत के तहत सुकूत बग़दाद ( तारीख इस्लाम ) मुख़्तसर जामे है ताहम मेरी दानिस्त में मज़ामीन की नौइयत सिलसिला वार हो तो मुनासिब है । मंज़ूमात के लिए भी गुंजाइश फ़राहम की जाने से दिलचस्पी बरक़रार रहेगी ।।