रोज़नामा सियासत हिंदूस्तान की उर्दू सहाफ़त में एक बाएतिबार रोज़नामा है जो मुख़्तलिफ़ रोज़नामों केलिए आईडीयल भी है। सियासत की जानिब से ज़माना-ए-क़दीम से मज़हबी रहनुमाई होती रही ज़िम्मा दारान ने हमेशा इस्लाम की ख़िदमत को भी अपना मक़सद बनाया है लेकिन हालिया जो खुशकुन तबदीली और मज़हबी ऐडीशन का इजरा अमल में आया है, वो अख़बार की दीनी दिलचस्पी और फ़िक्री एतिदाल का ग़म्माज़ है।
बड़ी ख़ुशी हुई ये देख कर कि मज़हबी ऐडीशन में इस्लामी उलूम और इस्लाही जिहात के अहाता का ख़ास लिहाज़ रखा गया है। पैग़ाम-ए-क़ुरआन-ओ-हदीस भी इतमीनान बख़श अंदाज़ में सहल अलफ़ाज़ में ख़ुलासा आयत-ओ-हदीस दिया गया दरमयान में पैग़ाम इस्लाम के नाम से अहम मज़मून बड़ा पसंद आया। इसतरह दरस मसनवी, इस्लामिक आईडीयालोजी, ताबीर ख़ाब, अहम फतावा मर्तबा मुफ़्ती मुहम्मद अज़ीम उद्दीन काबिल-ए-ज़िकर हैं।
मुरत्तिब-ओ-मुदीर-ओ-दीगर ज़िम्मा दारान क़ाबिल मुबारकबाद हैं। मिल्लत-ए-इस्लामीया को नज़ाआत-ओ-मज़हबी इख़तिलाफ़ात से दूर रखते हुए मुस्लिम समाज में फैली बुराईयों की इस्लाहात पर तवज्जा मर्कूज़ करने की शदीद ज़रूरत है।