सिआसत विशेष: भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज़ी सरकार से आज़ादी मिल गयी, हालांकि इसके बदले में मुल्क को बंटवारे का दर्द झेलना पडा लेकिन फिर भी आज़ादी की एहमियत किसी मायने में कम नहीं कही जा सकती. आज़ादी के बाद बनी सरकार में पंडित जवाहर लाल नेहरु प्रधान मंत्री बने जबकि उनके अलावा 14 और मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ली. कुल मिला कर 15 मंत्रियों में से दो नाम मुसलमान के भी थे.
ये वो मुसलमान थे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को सींचने में अपना लहू पसीने की शक्ल में बहाया था और देश के लिए जान क़ुर्बान करने का जज़्बा कई बार ज़ाहिर कर चुके थे, ये वो लीडर हैं जिन्होंने पाकिस्तान जाने से बेहतर भारत में रहना समझा और मुल्क के लिए काम करते रहे. भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और कम्युनिकेशन मंत्री रफ़ी अहमद किदवई. 15 की फ़ेहरिस्त में यूं तो सिर्फ़ ये दो ही नाम थे लेकिन इनके काम जगज़ाहिर हैं. रफ़ी अहमद किदवई के मंत्री बन्ने से जहाँ कम्युनिकेशन की सुविधा मज़बूत हुई वहीँ अबुल कलाम आज़ाद की दूरदर्शिता का नतीजा है कि देश में IIT और UGC जैसी संस्थाएं बनीं. हालांकि और मुसलमानों की नुमाइंदगी होनी चाहिए थी और इस पर अक्सर तरह तरह की बहस भी होती रहती है लेकिन जो काम इन दो मंत्रियों ने किया वो क़ाबिले तारीफ़ है.