भोपाल: तीन तलाक के मामले में आजकल देश भर में बहस छिड़ी हुई है। आमतौर पर यह माना जाता है कि पुरुष तलाक देकर महिलाओं पर अत्याचार करते हैं, लेकिन भोपाल में तलाक देने के मामले में महिलायें पुरुषों की तुलना में अधिक हैं। भोपाल ‘दारुलक़ज़ा’ में पिछले पांच वर्षों में 1650 महिलाओं ने पुरुषों से अलगाव के नाम पर खुला लिया, जबकि पुरुषों के संख्यों की बात करें तो यह लगभग 750 ही हैं।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार भोपाल में तलाक के मामलात कम से कम हों और मुस्लिम समाज से तलाक जैसी बीमारी का अंत हो सके, इस पर आलिमों ने विचार शुरू कर दिया है। इसके लिए समाज में आंदोलन चलाने पर विचार किया जा रहा है।
इस्लामी शरीयत में वैवाहिक जीवन के लिए शादी को अच्छा और तलाक़ को बुरा माना जाता है। इसके बावजूद समाज में तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं।मुस्लिम समाज में तलाक के मामलों में वृद्धि से जहाँ मुस्लिम समाज और आलिमों में चिंता बढ़ती जा रही है वहीं दूसरे लोग भी तलाक के मामले पर आवाज़ें उठाने लगे हैं।
प्रमुख आलिमे दीन और भोपाल के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि समाज में ऐसी घटनाएं उस समय आते हैं, जब पुरुष और महिलाएं अपने अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन वे अपने कर्तव्यों को गंभीरता से अंजाम नहीं देते हैं। भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले के शरई मामलात आज भी ‘दारुलक़ज़ा’ भोपाल में आते हैं। ‘दारुलक़ज़ा’ मसाजिद कमिटी के तहत काम करती है और मसाजिद कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में कमिटी में 25 हज़ार 4 सौ 19 लोगों के विवाह का पंजीकरण किया गया।
महिला और पुरुष के बीच अगर रिश्तों में कड़वाहट पैदा होती है, तो ‘दारुलक़ज़ा’ द्वारा सुलह का कर्तव्य अंजाम दिया जाता है और यदि दोनों पक्ष सहमत होते हैं, तो सुलह कमिटी खुलअ और तलाक के मामले आपसी सहमति से हल करती है।‘दारुलक़ज़ा’ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में ‘दारुलक़ज़ा’ के पास तलाक के नाम पर जो मामले आए हैं। इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं अधिक हैं।
‘दारुलक़ज़ा’ में पिछले पांच वर्षों में 1650 महिलाओं ने पुरुषों से अलगाव के नाम पर खुलअ लिया, जबकि पुरुषों की संख्या की बात करें तो यह लगभग 750 ही हैं।‘दारुलक़ज़ा’ के अनुसार खुलअ और तलाक के मामलों को लेकर ‘दारुलक़ज़ा’ के पास साल भर में दो से ढाई हजार मामले आते हैं। ज्यादातर मामले सलाह से सुलझ जाते हैं और जो नहीं सुलझते हैं उनकी आपसी सलाह से अलगाव करवा दी जाती है।भोपाल में महिलायें पुरुषों से अधिक तलाक क्यों दे रही हैं इस बात ने आलिमों को भी चिंता में डाल दिया है।