प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटु आलोचक और बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार के जोरदार प्रचार अभियान ने उन्हें बेगूसराय में चुनावी संघर्ष के केन्द्र में लाकर खड़ा कर दिया है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि कन्हैया का यह बढ़ता ग्राफ सत्तारुढ़ भाजपा से कहीं ज्यादा राजद के लिए खतरा बन रहा है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, बेगूसराय और क्षेत्र की अन्य लोकसभा सीटों में भाजपा समर्थकों का मानना है कि मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आकर्षण बरकरार है जबकि विपक्षी गठबंधन को उम्मीद है कि वह अपने सामाजिक अंकगणित से कई स्थानों पर इसकी काट निकाल लेगा। बेगूसराय में 29 अप्रैल को मतदान होना है।
उजियारपुर समेत इन सीटों पर एक ओर नरेंद्र मोदी फैक्टर भाजपा के प्रचार अभियान को बल दे रहा है, वहीं लालू प्रसाद यादव के राजद, उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा और कांग्रेस का गठबंधन अजेय सामाजिक समीकरण पर भरोसा है।
उजियारपुर सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा और बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय आमने सामने हैं। भाजपा के लिए यहां भी कड़ी चुनौती है। जबकि उजियारपुर और बेगूसराय दोनों सीटों पर 2014 में भाजपा ने जीत हासिल की थी।
बेगूसराय सीट पर भाकपा ने जहां जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाया है, तो भाजपा ने नवादा से अपने सांसद गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा है। महागठबंधन की ओर से तनवीर हसन उम्मीदवार हैं।
ज्यादातर भाजपा नेता और समर्थक मोदी पर भरोसा टिकाए हैं। खुद सिंह कह चुके हैं कि मोदी ही हर सीट पर उम्मीदवार है और चुनाव लड़ रहे भाजपा नेता उनके सिर्फ सिंबल हैं।
अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले संजय कुमार ने कहा कि गिरिराज सिंह जीतेंगे। हम मोदी को वोट देंगे। उन्होंने बहुत कुछ किया है और ऑप्शन क्या है दिल्ली में।
बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार दोनों गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे है। इससे भाजपा को बल मिला है। लेकिन अपने जोरदार चुनाव प्रचार से कन्हैया पारंपरिक सामाजिक समीकरणों पर जोरदार चोट कर रहे हैं।