सिर्फ़ 4 रेहन सेंटर्स में 600 मुस्लिम ख़ानदान के ज़ेवरात रेहन

क़ारेईन ! हम ने आज शहर के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों का दौरा करते हुए वहां काम कर रहे रेहन सेंट्रों का जायज़ा लिया और उन के मालेकीन से बात की जिस पर एक दर्दनाक इन्किशाफ़ हुआ कि सिर्फ़ काला पत्थर , ताड़बन , तिगल कुंटा और नवाबसाहब कुंटा जैसे चार इलाक़ों में वाक़ै रेहन सेंट्रों में 600 मुस्लिम ख़ानदानों ने सोने और चांदी के ज़ेवरात रेहन रखते हुए सूद पर रक़म हासिल की है ।

हैरत की बात ये है कि इन चार महल्ले में तक़रीबन 12 रेहन सेंटर्स हैं जिन में से हम आप को सिर्फ़ चार रेहन सेंट्रों में सोने और चांदी के ज़ेवरात रखवा कर हासिल की गई सूदी रक़म के बारे में बता रहे हैं । रेहन सेंट्रों के मालकीन से बात चीत के दौरान इस बात का पता चला कि दरअसल वो गरीब-ओ-बेबस और मजबूर मुस्लिम ख़ानदानों का इस्तिहसाल कर रहे हैं ।

हैरत की बात ये है कि तक़रीबन रेहन सेंटर्स के मालकीन मारवाड़ी तबक़ा से हैं जो राजिस्थान से ताल्लुक़ रखते हैं । हम ने देखा कि मुस्लिम बस्तियों में इन रेहन सेंट्रों पर काफ़ी बुर्क़ापोश ख़वातीन मौजूद थीं जब कि किसी के पास इस कारोबार के लिये लाईसेंस् है तो कोई बिना लाईसेंस् के ही ये कारोबार कर रहा है । आप को बतादें कि रेहन सेंट्रों के लिये कलक्टर लाईसेंस् जारी करते हैं अगर किसी के पास लाईसेंस ना हो तो मुक़ामी पुलिस को फ़ौरी इस रेहन सेंटर को बंद करने के इक़दामात करने चाहीए ।

क़ारईन ! हम ने सब से पहले ताड़बन के बालाजी रेहन सेंटर के मालिक बाबू लाल मारवाड़ी से बात की जो राजिस्थान का रहने वाला है । इस ने बताया कि रमज़ान के शुरू होते ही कसीर तादाद में लोग सोने और चांदी के ज़ेवरात रेहन रखवा कर सूद पर रक़म हासिल करते हैं अक्सर सरपरस्त सूद पर हासिल करदा ये रक़म अपने बेटों को कारोबार के लिये देते हैं और वो सारा महीना कारोबार कर के ईद के फ़ौरी बाद ये रक़म अदा करदेते हैं ।

बाबू लाल ने बताया कि इस के रेहन सेंटर का तक़रीबन 200 मुस्लिम घरानों से लेन देन है वो ये कारोबार 12 साल से इस मुक़ाम पर कर रहा है । इस सूदखोर ने ये भी बताया कि 80 फ़ीसद लोग वक़्त पर सोना हासिल करलेते हैं लेकिन 20 फ़ीसद रेहन रखे गए ज़ेवरात छुड़ाने से क़ासिर रहते हैं । दूसरी जानिब राजिस्थान के रहने वाले मुकेश सिंह जो तिगल कुंटा में रेहन सेंटर चलाता है इस के पास लाईसेंस नहीं है ।

तक़रीबन 180 लोगों से इस का लेन देन है इस ने ये भी बताया कि रमज़ान में हमारा सीज़न होता है कई लोग तो कपड़ों की खरीदारी के लिये सोने चांदी के ज़ेवरात रेहन रख कर रक़म हासिल करते हैं इस रेहन सेंटर के कुछ फ़ासिला पर भंवरलाल चौधरी रेहन सेंटर चलाता है । 5 साल से वो इस मुस्लिम इलाक़ा में कारोबार कर रहा है इस के पास 120 मुस्लिम ख़ानदानों ने चीज़ें रेहन रखे हैं ।

काले पत्थर मंगाराम रेहन सेंटर 6 साल से चला रहा है इस ने पहले झूट से काम लेते हुए बताया कि वो यहां एक रिश्तेदार के लिये आया है जब हम ने उसे लाईसेंस का हवाला देते हुए बताया कि लाईसेंस आप के नाम पर है और अपनी ही दुकान पर बैठ कर दुकान मालिक होने का इनकार कर रहे हो । तब मंगाराम ने जवाब दिया कि वो गरीब मुस्लिम बस्ती में लोगों के काम आरहा है उन्हें वक़्त ज़रूरत मामूली सूद पर रक़म फ़राहम करता है ।

शादी ब्याह , बीमारियों और सफ़र के लिये लोग सूद पर क़र्ज़ हासिल करते हैं । इस सवाल पर कि लोगों के रखाए गए ज़ेवरात के तहफ़्फ़ुज़ की क्या ज़मानत है । ये सवाल सुन कर करीब में बैठी एक मुस्लिम ख़ातून ने मुदाख़िलत करते हुए कहा में चार साल से यहां आती हूँ मंगाराम बड़ी दियानतदारी से सूदी कारोबार करते हैं ।। ( सिलसिला जारी )