झारखंड जनाधिकार मंच के एसेम्बली रुक्न बंधु तिर्की ने इतवार को साफ कर दिया कि वे सिर्फ माला पहनने के लिए कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कांग्रेस को एजेंडा सौंपा है, शर्त नहीं। इस एजेंडे को हुकूमत ने भी अपने मुश्तरका प्रोग्राम में शामिल किया है। ये मुद्दे कांग्रेस को शर्त लगते हैं तो उसमें वे क्या कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर सेक्युलर ताकतों को एकजुट करने और हिमायत देने के एवज में वज़ीर ओहदे मांग लिया तो इसमें क्या गलत है। कोई सियासत करता है तो ओहदे की ख्वाहिस रखता ही है। बंधु की यह रद अमल रियासत कांग्रेस सदर सुखदेव भगत के उस बयान के बाद आई है, जिसमें सनीचर को उन्होंने कहा था कि वज़ीर ओहदे की शर्त पर बंधु को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जा सकता।
अपने रिहाईस पर सहफ़ियों से बातचीत में बंधु तिर्की ने कहा कि वे छह अरसे से रियासत में सेकुलर का परचम ढो रहे हैं। सदर इंतेखाबात से लेकर एसेम्बली इंतेखाबात में उन्होंने प्रदीप कुमार बलमुचू और धीरज प्रसाद साहू के हक़ में वोट दिया। अगर उन्हें वज़ीर ओहदे की ख्वाहिस होता तो वे कब के एनडीए में शामिल होकर वजीरे दाख्ला बन सकते थे।