सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने कहा कि वह पाकिस्तानी खानदान को वीजा नहीं देने के फैसले का जायज़ा नहीं लेगा। यह खानदान ऑस्ट्रेलिया में अपने बेटे को देखने जाना चाहता है। इस खानदान का बेटा ऑस्ट्रेलिया में नाज़ुक हालत में है। हसन आसिफ स्टूडेंट के तौर पर ऑस्ट्रलिया आया था। हसन को डॉक्टरों ने टर्मिनल कैंसर से मुतास्सिर बताया है।
25 साल का यह पाकिस्तानी स्टूडेंट सिर्फ एक हफ्ता जिंदा रह सकता है। इसकी देखरेख करने वालों ने यह बात बताई है। लेकिन हसन की मां और भाई को ऑस्ट्रेलिया ने वीजा देने से इनकार कर दिया है। इमिग्रेशन डिपार्टमेंट और बॉर्डर प्रोटेक्शन के एक तरजुमान ने बताया कि यह हमदर्दी का मामला है। इस मामले में ख्याल किया गया था लेकिन इस फैसले का जायज़ा नही होगा। एबीसी न्यूज को डिपार्टमेंट के तरजुमान ने बताया कि हसन के घरवालों वालों को नयी दरखास्त देने के लिए कहा गया था।
तरजुमान ने बताया, ‘दरखास्त पर गौर किया जा सकता था जब दरखास्तगुजार अराज़ी तौर पर ऑस्ट्रेलिया में रहने का सही इरादा रखता हो। इस मामले में फैसला करने वाले दरखास्तगुजार की हालत देख जरूर गौर करेंगे। इनमें घर जाने के लिए मुआवजा, माली हालात और ऑस्ट्रेलिया में मदद की बातें शामिल हैं।
दरखास्तगुजार की ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा दिनों तक या फिर हमेशा के लिए रह जाने का इम्कान भी है। ऐसे में हम इन फरीको की बुनियाद पर भी तश्खीस करते हैं। हम हमदर्दी जताने के मामले में जरूर मदद करेंगे।’
डिपार्टमेंट ने कहा कि इस मामले में सभी फरीकों का तश्खीस किया गया। इसके बाद ही अथॉरिटी ने वीजा नहीं देने का फैसला किया। डिपार्टमेंट ने कहा कि हमने हमदर्दी के लिहाज से ही आसिफ को मेलबर्न सिटी मिशन के यूथ रिफ्यूजी सेंटर में रखा है। मिशन ने ऑस्ट्रेलिया के इमिग्रेशन मिनिस्टर पीटर से फैसले का जायज़ा लेने की गुजारिश किया था। ऑस्ट्रेलिया में आसिफ का कोई नहीं है।