सिर्फ़‌ पाँच मिनट का मदरसा

4 रबीउल अव्वल‌

हज़रत ईसा अलैहि सालाम की पैदाइश‌

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने हज़रत ईसा अलैहि सालाम के नामों का ज़िक्र मुख़्तलिफ एतेबार से कई मर्तबा किया है।उनकी पैदाइश अल्लाह तआला की क़ुदरत की एक बहुत बडी निशानी है।एक दिन हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा किसी ज़रूरत की वजह से बैतुलमक़्दिस की मशरिक़ी जानिब गैइ हुई थी,के अचानक एक फरिश्ते ने यह ख़ुश्ख़बरी दी,के अल्लाह तआला ने तुम को एक बेटा अता फ़र्माएगा,जिस का नाम ईसा बिन मरयम होगा। हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा ने कहा:मेरी तो शादी भी नहीं हुई,लडका कैसे होगा?फरिश्ते ने कहा : अल्लाह का फैसला ऐसा ही है।और यह अल्लाह के लिये आसान है।फिर ऐसा ही हुआ,के हज़रत ईसा बग़ैर बाप के पैदा हुए।जब लोगों ने देखा,तो बहुत तअज्जुब किया और कहा :मरयम! तुम ने यह कितना बडा गुनाह किया है? हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा ने कोई जवाब नहीं दिया,बल्के बच्चे की तरफ इशारा कर दिया और बच्चा बोल पडा,मैं अल्लाह का बंदा हूँ,उस ने मुझे किताब दी है और नबी बनाया है,मैं जहाँ कहीं भी रहूँ खुदा ने मुझे बाबरकत बनाया है और आखरी दम तक अल्लाह ने मुझे नमाज़ पढ‌ने और ज़कात अदा करने का हुक्म दिया है अपनी माँ फर्मांबरदार बनाया है।मेरी पैदाइश,मेरी वफात और फिर दोबारा ज़िन्दा होना मेरे लिये ख़ैर व बरकत और सलामती का ज़रिया है।”बच्चे की ऐसी बातें सुन कर क़ौम हैरान रह गई और हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा से उनकी बदगुमानी अक़ीदत में बदल गई।

हुज़ूर सल्लाहु अलैहि व सल्लम मुअजिज़ा : ग़ज़ब‍-ए-मूता में शहीदों के मुतअल्लिक़ ख़बर देना
मुल्के शाम मे मूता नामीं एक मक़ाम पर जंग हो रही थी,हज़रत अनस रज़िअल्लाहु फर्माते हैं के रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने (मदीना में रहते हुए)यके बाद दीगर तीन सहाबी के मूता में शहीद होने‍ की ख़बर दी,जब के वहाँ से अभी तक कोई ख़बर नहीं आई थी और फिर फर्माया :उन के बाद झंडा,अल्लाह की तलवार ने उठाया और अल्लाह ने उनके हाथों मुसलमानों को दुश्मनों पर फतह नसीब फ़र्माई।

फायदा : अल्लाह की तलवार से मुराद हज़रत ख़ालिद बिन वलीद हैं,उनको यह लक़ब आप ने दिया था।

एक फ़र्ज़ के बारे में : बीवी की वरासत में शौहर का हिस्सा
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :”तुम्हारे लिये तुम्हारी बीवियों के छोडे हुए माल में से आधा हिस्सा है,जब के उन की कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो,तो तुम्हारी बीवियों के छोडे हुए माल में तुम्हारे लिये चौथाई हिस्सा है(तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और क़र्ज़ अदा करने के बाद मिलेगा”।

एक सुन्नत के बारे में : मुसिबत से नजात की दुआ
जब कोई मुसिबत या आज़माइश में पड जाए,तो इस दुआ को ज़ियादा से ज़ियादा पढे :
‘ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नीकुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन”
तर्जमा : (इलाही) आप के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं,आप (तमाम ऐबों)से पाक है,बेशक मैं ही क़ुसूरवार हूँ।

एक अहेम अमल की फ़ज़ीलत : मुलाक़ात के वक़्त सलाम व मुसाफा करना
रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया :”जब दो मुसलमान मुलाक़ात के वक़्त मुसाफा करते है और अल्लाह तआला की तारीफ करते हैं और अल्लाह तआला से मग़फिरत तलब करते है (यानी मुसाफा के वक़्त (यग़फिरुल्लाहु लनावलकुम) और मिज़ाज़ पुरसी के वक़्त (अल्हमदु लिल्लाह)कहते हैं तो उन की मग़फिरत कर दी जाती है।”

एक गुनाह के बारे में क़ुरआन को छुपाना और बदलना
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग अल्लाह तआला की किताब के अहकाम को छुपा कर दुनियवी माल व दौलत हासिल करते हैं, वह लोग अपने पेटों में आग भर रहे है । क़यामत के दिन अल्लाह तआला न उन से कलाम करेगा और न उन को (गुनाहों से)पाक करेगा और उन को दर्दनाक‌ अज़ाब होगा”।

दुनिया के बारे में : दुनिया की चीज़े
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम लोगों को जो कुछ दिया गया हैं,वह सिर्फ दुनियवी ज़िन्दागी में बरतने का सामान हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब)अल्लाह के पास हैं,वह इस (दुनिया) से कहीं ज़ियादा बेहतर और बाक़ी रहने वाला है,जोसिर्फ मोमिनीन और अपने रब पर भरोसा रकने वालों के लिये है।”

आखिरत के बारे में : दोज़ख़ की गहराई
रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया :”एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया,वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा,मगर उस की गहेराई तक नहीं पहुँच सका।

तिब्बे नब्वी से इलाज : बडी बीमारियों से हिफाज़त‌
रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया :”जो शख़्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक़्त शहद को चाटेगा, तो उसे कोई बडी बीमारी नहीं होगी”।

नबी सल्लाहु अलैहि व सल्लम की नसीहत‌ :
रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया :”जब तुम में से किसी को छींक आए और(अल्हम दुलिल्लाही)कहे,तो तुम उस के लिये (यर्हमुकल्लाहू)कहो और अगर वह (अल्हम दुलिल्लाही)न कहे,तो तुम‌(यर्हमुकल्लाहू) न कहो।”