5 रबीउल अव्वल
हज़रत ईसा अलैहि सालाम के हालात
अगरचे हज़रत ईसा अलैहि सालाम की गवाही से बनी इसराईल के सामने हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा की पाक दामनी ज़ाहिर होगइ और उन की बदगुमानी दूर हो गई और हज़रत ईसा अलैहि सालाम की तरबियत व परवरिश माँ की शफक़त में होती रही मगर फिर भी क़ौम के शरीर लोगों की तरफ से उन की पैदाइश पर बदगुमानी और हज़रत ज़क़रिया अलैहि सालाम की मज़लूमाना शहादत को हज़रत मरयम सल्लमा अलैहा देख चुकी थी।इस लिये वह क़ौम और “हैरूद”बादशाह के डर से अपने बेटे हज़रत ईसा अलैहि सालाम को ले कर अपने रिशतेदारों के यहाँ मिस्र चली गई, और बारा साल वहाँ रहने के बाद फिर उन को लेकर बैतुलमक़्दिस वापस आगई,इस तरह जब हज़रत ईसा अलैहि सालाम की उम्र 30 साल हो गई ,तो अल्लाह तआला ने क़ौम की हिदायत व इसलाह के लिये नुबुव्वत अता फर्मा कर आसमानी किताब “इनजील ” नाज़िल फ़र्माई।उन्होनें कुफ्र व शिर्क के ख़िलाफ अपनी दावत व तौहीद का आग़ाज़ किया।हज़रत ईसा अलैहि सालाम की शकल व सूरत के बारे में हुज़ूर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया :”मेराज के मौक़े पर मेरी मुलाक़ात दुसरे आसमान पर हज़रत ईसा अलैहि सालाम से हुई,तो मैं ने उनको दर्मियानी क़द, सुर्ख रंग, साफ शफ्फाफ बदन और काँधे तक लटकी हुई ज़ुल्फों की हालत में देखा।”
अल्लाह की क़ुदरत : छुई मूई का पौदा (शर्मीली)
अल्लाह तआला ने छुई मूई के इस छोटे से पौदे के अन्दर एहसास व शुऊर का माद्दा रखा है,अगर कोई आदमी इसे छूता है तो उस की पत्तियाँ सुकड जाती है,फिर थोडी देर बाद वह पत्तियाँ फिर से फैल कर तन जाती है। अख़िर छुई मूई के पौदें में शर्म व हया का माद्दा किस ने पैदा किया है?यह अल्लाह ही की क़ुदरत है जिस ने इस पौदे के अन्दर एहसास व शुऊर का माद्दा पैदा किया है।
एक फ़र्ज़ के बारे में :क़ज़ा नमाज़ो की अदाएगी
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने फ़र्माया :”जो कोई नमाज़ पढना भूल गया या नमाज़ के वक़्त सोता रह गया,तो (उस का कफ्फारा यह है के)जब याद आए उसी वक़्त पढ ले।”
फायदा : अगर किसी शख़्स की नमाज़ किसी उज़्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उस की क़ज़ा पढना फर्ज़ है।
एक सुन्नत के बारे में: घर के काम में हाथ बटाना
हज़रत आयशा सल्लमा अलैहा से पूछा गया के घर में हुज़ूर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम क्या काम करते थे? हज़रत आयशा सल्लमा अलैहा ने फ़र्माया : आप सल्ललाहु अलैहि व सल्लम घर के काम में हाथ बटा दिया करते और जब नमाज़ का वक़्त हो जाता, तो नमाज़ के लिये चले जाते ।
एक अहेम अमल की फ़ज़ीलत :अपनी ग़लती पर शर्मिन्दा होना
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने फ़र्माया :”जिस शख़्स ने कोई ग़लती की या कोई गुनाह किया फिर उस पर शर्मिन्दा हुआ,तो यह शर्मिन्दगी उस के गुनाह का कफ्फारा है।”
एक गुनाह के बारे में: चन्द गुनाह लानत का सबब
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने गोदने वाली और गुदाने वाली औरत और सूद खाने वाले और सूद खिलाने वाले पर लानत फ़र्माई है और कुत्ते के ख़रीदने,बेचने और ज़िना की कमाई से मना फ़र्माया है और तसवीर बनाने वालों पर लानत फ़र्माई है।
दुनिया के बारे में: दुनिया के लालची के लिये हलाकत
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने फ़र्माया :”हलाक हो गया दिरहम व दनानीर और सियाह और धारी दार (क़ीमती)कपडे का(लालची)बन्दा के अगर उस को मिल जाए तो राज़ी होता है और अगर ना मिले तो राज़ी नहीं होता।”
आखिरत के बारे में:इन्सान व जिन्नात पर काफिरों का गुस्सा
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता हैं : “(अज़ाब में गिरफतार हो कर ) काफिर लोग कहेंगे, ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इन्सान व जिन्नात में से वह लोग दिखा दीजिये जिन्होंने हम को गुमराह किया था के हम उन को अपने पैरों तले रौंद डाले ताके वह ख़ूब ज़लील हों।”
तिब्बे नब्वी से इलाज : अंजीर से बवासीर और जोडों के दर्द का इलाज
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने फ़र्माया : “अंजीर खाओ,क्योंकि यह बवासीर को ख़त्म करता है और जोडों के दर्द में मुफीद है।”
क़ुरआन की नसीहत:
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता हैं :”नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरेकी मदद किया करो,गुनाह और ज़ुल्म व ज़ियादती में किसी की मदद न करो और अल्लाह से डरते रहो,बेशक अल्लाह तआला का अज़ाब बहुत सख़्त है।”