सिर्फ़‌ पाँच मिनट का मदरसा

हज़रत ईसा अलैहि सालाम की दावत
अल्लाह तआला ने हज़रत ईसा अलैहि सालाम को बनी इसराईल की हिदायत और तौहिद की दावत देने के लिये ऐसे माहौल में भेजा के जब उन की मज़हबी हालत नाक़ाबिले बयान हद तक ख़राब हो चुकी थी,मुशरिकाना रस्मों को उस क़ौम ने अपनी ज़िदगी का ज़ुज बना लिया था,बद अखलाखी व बदमिज़ाजी,बुग़्ज़ व हसद और रुहानी बीमारियाँ आम हो चुकी थीं,तौरात के अहकाम व अलफाज़ को अपनी ज़रूरत और ख़्वाहिश के मुताबिक़ बदल दिया करते थे‍,उन्होने अपनी बद बख़्ती की वजह से हज़रत ज़क़रिया व यहया अलैहि सालाम को भी शहीद कर डाला था। इन बिगडे हुए हालात में हज़रत ईसा अलैहि सालाम ने अपनी क़ौम को अल्लाह की इबादत करने और उसको अपना रब मानने और सीधे रास्ते पर चलने की दावत दी और‌ फर्माया के मेरे ऊपर नाज़िल होने वाली मुक़द्दस इन्जील,उस तौरात की तसदीक़ करती है,जो हज़रत मूसा अलैहि सालाम पर नाज़िल हुई थी।और यह भी फर्माया : मेरे बाद एक नबी आने वाले है जिन का नाम आसमानी किताबों में “अहमद” है,तुम उन को सच्चा और आख़री रसूल मानना और उन पर नाज़िल होने वाली अखरी किताब क़ुराअन करीम पर ईमान लाना।

हुज़ूर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम का मुअजिज़ा :नजाशी के वफ़ात की इत्तेला देना
जिस दिन मुल्के हबशा के बादशाह नजाशी की वफात हुई,उसी दिन रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने सहाबा रज़िअल्लाहु को इस वाकिए की इत्तेला दे दी और फर्माया : अपने भाई के लिये दुआए मग़फिरत करों! (हालाँके मदीने से हबशा की दूरी की हज़ारों किलो मीटर है,इतनी दूरी के बावजूद ख़बर देना, यह आप सल्ललाहु अलैहि व सल्लम का खुला हुआ मुअजिज़ा है।)

एक फ़र्ज़ के बारे में : शौहर की वरासत में बीवी का हिस्सा
क़ुराआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “उन औरतों के लिये तुम्हारे छोडे हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो और अगर हो, तो उन के लिये तुम्हारे छोडे हुए माल में आथवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और क़र्ज़ अदा करने के बाद मिलेगा।”

एक सुन्नत के बारे में : नेकियों पर जमे रहने की दुआ
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम यह दुआ पढते : अल्लाहुम्मा मुसर्रीफल् ख़ुलुबी सर्रिफ ख़ुलुबना अला ताआतिका
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! ऐ दिलों को फेरने वाले ! तू हमारे दिलों को अपनी फ़र्माबरदारी की तरफ फेर दे।

एक अहेम अमल की फ़ज़ीलत : मय्यित के घर वालों को खाना भेजना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर अलैहि सालाम के शहीद होने की ख़बर आई तो आप सल्ललाहु अलैहि व सल्लम फर्माया : “जाफर के घर वालों के लिये खाना तय्यार किया जाए क्योंकि उन्हे ऐसा हादसा पेश आ गया है जिस की वजह से खाने की तरफ तवज्जोह नहीं कर सकेंगे ।”
फायदा : मय्यित के घर वालो को खाना वग़ैरा पहुँचाना बाईसे अज्र व सवाब है।

एक गुनाह के बारे में : बुख़्ल व कजूसी करना
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग ख़ुद भी कजूसी करते हैं और दूसरों को भी कजूसी करना सिखाते हैं और जो कुछ अल्लाह तआला ने अपने फ़ज़ल से उन को दिया है उस को छुपाते है और हम ने ऐसे नाफ़र्मानों के लिये ज़लील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”

दुनिया के बारे में : दुनिया की चीज़ें यही रह जाएंगी
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “(दुनिया की) यह सारी चीज़ें दुनियावी ज़िन्दगी में ही बरतने के लिये हैं (आख़िरत में यह सब काम नहीं आएगा) और आख़िरत(और उस की नेअमतें) तेरे रब के यहां उनहीं के हैं जो डरते हैं।”

आखिरत के बारे में : जनती अल्लाह का दीदार करेंगे
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने लैलतुल ख़द्र में चाँद को देखा और फर्माया:” तुम लोग अपने रब को इस तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उन को देखने में किसी क़िस्म की परेशानी महसूस नही करोगे।

तिब्बे नब्वी से इलाज : मुनक़्क़ा(black currant)से इलाज‌
हज़रत अबू हिन्द दारी अलैहि सालाम कहते के रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में मुनक़्क़ा का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया, आप सल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने उसे खोल कर इशार्द फर्माया : अल्लाह का नाम ले कर खाओ , मुनक़्का बेहतरीन खाना है जो पठ्ठों को मज़बूत करता है,पुराने दर्द को ख़त्म करता है,गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को दूर करता है, बलग़म को निकालता है और रंग को निखारता है।

नबी सल्लाहु अलैहि व सल्लम की नसीहत‌ :
रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम फर्माया के अल्लाह तआला फर्माता है : मेरे बन्दे ! बे जब तक तू मेरी इबादत करता रहेगा और मुझ से (मग़फिरत की ) उम्मीद रखेगा,मैं तुझ को माफ करता रहूँगा , ऐ मेरे बन्दे ! अगर तु ज़मीन भर कर गुनाह के साथ भी मुझसे इस हाल में मिले के मेरे साथ किसी को शरीक़ न किया हो, तो मैं भी ज़मीन भर मग़फिरत के साथ तुझसे मिलूँगा : यानी ज़मीन भर गुनाहों को माफ कर दूँगा।