सीएम योगी आदित्यनाथ का गोवंश प्रेम भाजपा के गले की फांस बना

पुराना साल 2018 जाने और नया साल 2019 आने को है। 2019 की आहट भाजपा के लिए कई बड़ी चुनौती लेकर आ रही है। पहली बड़ी चुनौती केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ सत्ता में वापसी की है। सत्ता में वापसी का गेटवे यूपी है। यह गेटवे भाजपा को बुरे सपने दिखा रहा है। सपने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोवंश प्रेम डरावने सपने की तरह है। यूपी सरकार के कबीना मंत्री दिल्ली आए हैं। वह संसद भवन में भी आए और पत्रकारों के साथ चर्चा में माना कि यह चिंता का विषय है।

राज्य सरकार के मंत्री के अनुसार इस समय के निदान का विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी वह नहीं बता सकते कि क्या होगा। भाजपा के गोरखपुर परिक्षेत्र से राज्यसभा सांसद का भी मानना है कि गांव-गांव में गोवंश खुल्ला घूम रहे हैं। किसान फसल की बुआई करके आता है। जैसे ही फसल के हरे-हरे पौधे जमीन में दिखाई देते हैं, दर्जन या इससे अधिक की संख्या में छुट्टा घूम रहे गोवंश इसे आकर चर जाते हैं। किसान नेता चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह के अनुसार पश्चिमी यूपी का किसान इससे बुरी तरह से त्रस्त है। यूपी के बनारस परिक्षेत्र के राम लाल चौबे का कहना है कि रात में किसान घर पर सोने की बजाय गोवंश से अपना खेत बचाने के लिए रखवाली कर रहा है।

गले में घंटी बांधे कौन?

भाजपा के एक सांसद ने इस सवाल पर कोई बयान देना उचित नहीं समझा। उन्होंने माना कि यह बड़ी समस्या है। किसान नाराज हैं। पार्टी के फोरम पर भी इसको लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन वह इस मुद्दे पर कोई अधिकारिक बयान नहीं दे सकते। भाजपा के नेताओं को लग रहा है कि गोवंश का प्रेम तो ठीक है, लेकिन इसके लिए समुचित उपाय किया जाना चाहिए। सरकार गौ रक्षा को बढ़ावा दे। गौ वध पर रोक लगाए, लेकिन इसके साथ-साथ उसे गौ रक्षा की नीति भी बनानी चाहिए। इसके सामानांतर मौजूदा व्यवस्था गांव की अर्थ व्यवस्था के लिए काफी हानिकारक साबित हो रही है।

भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह मस्त ने माना कि यह एक समस्या है। बड़ी चिंता का विषय है। लेकिन मस्त ने कहा कि गौवंश की सुरक्षा और किसानों की चिंता के समाधान के लिए योजना पर काम चल रहा है। जल्द ही इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। पार्टी के ही एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि इसको लेकर काफी दबाव है। संघ और संघ के अनुषांगिक संगठन भी इसको लेकर चिंतित है। गाय-बछड़ों के खुला घूमने और किसानों की फसल चर जाने के कारण भाजपा और संघ के नेताओं, कार्यकर्ताओं का घूमना, लोगों के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है।

गौ वध के चक्कर में गंवाई जान

देश के कई राज्यों में लोगों ने गौ वध के आरोप में अपनी जान गंवाई। केन्द्र सरकार ने गौ हत्या पर प्रतिबंध को लेकर उतनी सक्रियता नहीं दिखाई, जितना कि भाजपा और उसके संगठन से जुड़े लोगों ने दिखाई। कई राज्यों में लोगों को भीड़ ने पीटकर मारडाला। यूपी के ग्रेटर नोएडा में मो.अखलाख भी इसी आरोप में जान गंवा बैठे थे। गौ वध को लेकर बुलंदशहर में हिंसा भड़की और थानाध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह को लोगों ने गोली मार दी। इसके अलावा एक अन्य सदस्य को अपनी जान गंवानी पड़ी।

मध्यप्रदेश में बना पहला गौ तीर्थ

मध्यप्रदेश के आगर जिले में पहला गौ तीर्थ (कामधेनु अभ्यारण्य)बनकर तैयार है। 2013 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इसकी आधारशिला रखी थी। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर यह 2017 में पूरी तरह से तौयार हो गया। 1200 एकड़ में फैले इस क्षेत्र को तैयार करने में 32 करोड़ रुपये की लागत आई। इसमें 6000 से अधिक गाय और उनके बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं। समझा जा रहा है कि भाजपा मध्यप्रदेश में गाय के कामधेनु अभ्यारण्य या गाय को सुरक्षित रखने के लिए अपनाए गए तरीकों को अपना सकती है। यूपी सरकार से इस पर अमल करने का आग्रह किया जा सकता है।

साभार- अमर उजाला