सीएम शिवराज की मंडियों से क्यों रूठे किसान ? , 1101 किसानों में 1 किसान ने बेची फ़सल

अनूपपुर- पांव पांव वाले भैय्या, जी हां मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में इसी नाम से जाने जाते हैं। सीएम खुद को किसान कहते हैं और गाहे-बगाहे अपने खेत पर पूरी मीडिया के साथ खेती का मुआयना करते दिख जाते हैं। लेकिन लगता है कि किसान शिवराज सिंह की सरकार से प्रदेश के किसानों का मोहभंग हो गया है। तभी तो किसानों ने सरकारी मंडियों से मुंह मोड़ लिया है।
खबर अनूपपुर से है, जहां वर्ष 2017-18 में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए 8 खरीदी केन्द्र बनाए गए है। इन केंद्रों में जिले भर के 1101 किसान पंजीकृत किए गए हैं और इस साल जिले भर से 19,000 क्विंटल गेहूं की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।
लेकिन आपको हैरानी होगी कि 27 मार्च से शुरु हुई खरीदी के 24 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक सिर्फ़ 1 खरीदी केन्द्र कोतमा में 1 किसान द्वारा 8 क्विंटल गेहूं ही बेचा गया है। वहीं अब भी जिले के 7 खरीदी केन्द्र अब भी सूने पड़े हुए है। यानि कि किसान सरकारी मंडी की तरफ़ झांककर देख भी नहीं रहे हैं।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि किसानों ने सहकारी मंडियों से मुंह फेर लिया है जबकि सरकार किसानों के साथ होने का दम भरती रहती है। दरअसल समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी करने के लिए प्रदेश शासन ने 1625 रूपए प्रति क्विंटल की दर रखी है लेकिन बाज़ार में किसानों को इससे कहीं अच्छी कीमत मिल रही है। लिहाज़ा नतीजा सामने है।

8 खरीदी केन्द्रो में 1101 किसानों का रजिट्रेशन है लेकिन 24 दिन बाद सात मंडियों में सूखा पड़ा हुआ और एक मंडी में भी किसान पहुंचा तो वो भी सिर्फ 8 क्विंटल गेंहू लेकर। मप्र को सत्ता में आए 15 साल होने को है लेकिन किसानों के लिए सरकार कितनी संजीदा है ये इसकी बानगी है।