लखनऊ 22 मार्च 2016। सीतापुर के लहरपुर थाने के पट्टी देहलिया गांव में दलित बस्ती के 35 घरों में आग लगाने और 2 मासूम बच्चों के जिंदा जला दिए जाने को रिहाई मंच ने सपा सरकार में दलितों और गरीबों पर हो रहे हमलों का ताजा उदाहरण बताया है। मंच ने कहा कि सपा सरकार के चार साल पर हुई यह जघन्य घटना सीतापुर के रेवसा के बिंबिया गांव में 8 मार्च 2012 को सपा को जनादेश मिलने के बाद दलितों के 13 घरों के जला दिए जाने की घटना की याद दिलाती है। जिसे सपाईयों ने इसलिए अंजाम दिया था कि दलितों ने सपा को वोट नहीं दिया था।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलितों द्वारा प्रधानी के चुनाव में कमलेश वर्मा नाम के प्रत्याशी को सिर्फ वोट नहीं देने के कारण उनकी पूरी बस्ती को जला दिया जाना जिसमें दो बच्चे पूरी तरह जल कर राख हो गए सपा की दलित विरोधी मध्ययुगीन बर्बरता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि आगजनी के दौरान खुद प्रधान द्वारा अपने हाथों से दलितों के मकानों में आग लगाना यह साबित करता है कि प्रदेश में अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। राजीव यादव ने कहा कि देवरिया के मदनपुर थाना में देवकली जयराम गांव में दलित महिला लालमति के घर में घुसकर दबंगों द्वारा गला रेतकर की गई हत्या जैसी घटनाएं साफ कर रही हैं कि यूपी में दलितों के खिलाफ ये हमले प्रायोजित हैं। रिहाई मंच का जांच दल सीतापुर के लहरपुर थाने के पट्टी देहलिया गांव का जल्द दौरा करेगा।
रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि दादरी कांड में जिस तरह से दोषियों को क्लीन चिट दी जा रही है उसने एक बार फिर साबित किया है कि मुजफ्फरनगर से लेकर फैजाबाद-अस्थान तक जिस तरह से भाजपा व संघ परिवार के लोगों को सपा बचा रही है वही काम वह दादरी में भी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इंसाफ का कत्ल करने की इसी साजिश के तहत सपा ने दादरी, मुजफ्फरनगर समेत किसी भी सांप्रदायिक घटना की सीबीआई जांच नहीं करवाई। कुरैशी ने आरोप लगाया कि लव जिहाद की तरह विहिप और बजरंग दल के लोग हिंदू लड़कियों की रक्षा के नाम पर 400 संघी गुण्डों की फौज तैयार कर रहे हैं और सपा सरकार मौन है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में जिस तरह से दलितों और मुसलमानों पर हमले बढ़ रहे हैं वह साफ कर रहा है कि प्रदेश को सपा-भाजपा दोनों हिंसा की आग में झोंकना चाहते हैं।
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