सीपी सिंह ने स्पीकर का ओहदा छोड़ा

रांची 20 जुलाई : सीपी सिंह ने असेंबली सदर के ओहदे से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने जुमा को दिन के तीन बजे अपना इस्तीफा असेंबली के इंचार्ज सेक्रेटरी सुशील कुमार सिंह को सौंपा। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा : हेमंत सोरेन की कियादत में नयी हुकूमत के तशकील के बाद मेरे इस्तीफे को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किये गये।

भाजपा से वाबस्ता होने की वजह हल्के सोच रखनेवालों के ऐसे शुबा जायज हो सकते हैं। लेकिन असेंबली सदर न तो एक्तेदार पार्टी का होता है और न ही ओपोजिशन का। वह तो मुंसिफाना होता है। मैंने मुंसिफाना अंदाज़ से पर्लिमानी रवायत का डिस्चार्ज किया। इसे एतमाद वोट के दिन साबित करने की कोशिश किया गया। मेरे इस तर्ज़ अमल से पर्लिमानी रवायत को शक नयी वक़ार हासिल हुई होगी।

पार्टी का दबाव नहीं

उन्होंने कहा : मेरे एक्तेदार के दौरान किये गये कारवाईयों का अंदाज़ा मौजूदा को नहीं, मुस्तकबिल को करना है। मुङो पार्टी ने कभी नहीं कहा कि ओहदे पर बने रहें या इस्तीफा दें। यह मेरा खुद का फैसला था। सीपी सिंह ने कहा : पार्टी और ओपोजिशन मुसबत किरदार निभाये, तो रियासत का भलाई हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि असेंबली सदर को कैसा होना चाहिए, उन्होंने कहा : सदर पर जमाती वाबस्तगी हावी नहीं होनी चाहिए। सदर को मुंसिफाना अंदाज़ से ओपरेशन करना चाहिए। स्पीकर किसी पार्टी से नहीं, कानून से बंधा होता है। कानूनी दायरे में काम करता है। इस्तीफा देने के बाद मैं पूरी तरह से पार्टी के साथ जुड़ जाऊंगा। मैं 1968 से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। इमरजेंसी के दौरान छह माह तक जेल में भी रहा। 1980 में भाजपा का तशकील होने के बाद पार्टी से जुडा । मेरी आखरी ख्वाहिस है कि जब मैं श्मशान जाऊं, तो मैं पार्टी के झंडे के नीचे रहूं।