सीबीआइ ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ दायर किया आरोपपत्र

नई दिल्ली : सीबीआइ ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, उनके पति जावेद आनंद और उनके द्वारा संचालित कंपनी के खिलाफ विदेशी वित्तपोषण नियमों के कथित उल्लंघन के लिए आरोपपत्र दायर किया है. सीबीआइ के प्रवक्ता आरके गौड ने आज बताया कि आरोप पत्र में सबरंग कम्युनिकेशंस एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड और सुषमा रमन को भी नामजद किया गया है. इसे शनिवार को मुंबई की एक अदालत में दायर किया गया. सीतलवाड़ ने 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. प्रवक्ता ने कहा कि आरोपपत्र को भारतीय दंड संहिता (आपराधिक षड्यंत्र) की धारा 120बी के साथ एफसीआरए 2010 और एफसीआरए 1976 के तहत दायर किया गया.

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प्रभात खबर के अनुसार, जांच एजेंसी ने सीतलवाड़ और अन्य के खिलाफ जुलाई 2015 में मामला दर्ज किया था. गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना विदेशों से धन प्राप्त करने के लिए विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन को लेकर मामला दर्ज किया गया. सीतलवाड़ ने 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. प्रवक्ता ने कहा कि आरोपपत्र को भारतीय दंड संहिता (आपराधिक षड्यंत्र) की धारा 120बी के साथ एफसीआरए 2010 और एफसीआरए 1976 के तहत दायर किया गया.
इससे पहले सरकार ने विदेशी चंदा प्राप्त करने पर लगे प्रतिबंध के बावजूद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा संचालित एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) के एफसीआरए लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया था.
सीजेपी वर्ष 2002 गुजरात दंगों में जिंदा बचे लोगों को अनुदान में कथित दुरूपयोग पर गृह मंत्रालय द्वारा जांच के घेरे में आया था. जिसके बाद इसे पिछले साल जुलाई में गृह मंत्रालय द्वारा पूर्व अनुमति श्रेणी में डाल दिया गया था. तीस्ता सीजेपी की सचिव हैं और उनके दो अन्य एनजीओ सबरंग ट्रस्ट और सबरंग कम्युनिकेशन एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड सीबीआइ तथा गुजरात पुलिस द्वारा पहले से जांच के घेरे में हैं. सबरंग ट्रस्ट के एफसीआरए लाइसेंस को इस साल जून में गृह मंत्रालय द्वारा रद्द किया गया था जबकि सबरंग कम्युनिकेशन फोर्ड फाउंडेशन से कोष के कथित दुरूपयोग के लिए सीबीआइ जांच के घेरे में हैं.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद द्वारा संचालित सिटिजन फार जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) के विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत पंजीकरण का नवीनीकरण किया गया है. पूर्व अनुमति श्रेणी में होने के बावजूद सीजेपी के एफसीआरए पंजीकरण का नवीनीकरण किया गया. पूर्व अनुमति श्रेणी वाले एनजीओ को विदेशी चंदा लेने से पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है.