सीबीएसई ने अब तक नहीं लिया है ‘हिंदी भाषा’ पर निर्णय

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने अब तक एक संसदीय पैनल की सिफारिश पर निर्णय नहीं लिया है जिसमे कहा गया है की हिंदी को कक्षा 10वीं तक सीबीएसई-सम्बंधित स्कूलों में अनिवार्य विषय बनाया जाये।

राष्ट्रपति ने सिफारिश को सैद्धांतिक रूप से मान्यता दे दी है परन्तु इस चेतावनी के साथ की केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के विचार विमर्श करने के बाद इस नीति को बनाना होगा।

सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘द हिंदू’ को बताया, “अब तक, शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। एक बार जब हम रिपोर्ट और राजभाषा विभाग के प्रस्ताव को पढ़ लेंगे तब हम मानव संसाधन विकास मंत्रालय से परामर्श कर निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। अभी मैं इस मुद्दे पर कुछ और नहीं कह सकता हूं।”

मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव (स्कूल शिक्षा) ‘अनिल स्वरूप’ तक नहीं पहुंचा जा सका है, परन्तु मंत्रालय के सूत्रों ने बताया की स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।

यह मुद्दा विविधता पूर्ण हमारे देश जहाँ 22 मान्य भाषाएँ हैं उसके बहुत महत्वपूर्ण हैं । कोई भी ऐसा प्रयास जिससे गैर हिंदी भाषी राज्यों विशिष्ट रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में हिंदी अनिवार्य बनायीं जाये उससे राजनीतिक विवाद शुरू हो सकता है। तमिलनाडु में हिंदी-विरोधी आंदोलनों का एक इतिहास रहा है।

पैनल की सिफारिश को गृह मंत्रालय की राजभाषा विभाग की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है |