सीमान्ध्र एहतिजाज के बाद भी तेलंगाना पर आगे बढ़ी हुकूमत

हैदराबाद से दिल्ली तक हुई जंग के बीच मरकज़ी हुकूमत तेलंगाना की तश्कील की तैयारी में जुट गई है। तेलंगाना और सीमांध्र के बीच वसाएल की तक्सीम के लिए 10 रुक्नी काबिनी ग्रुप को डेढ़ महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच, तेलंगाना मुखालिफ की सियासत में बढ़त हासिल करते हुए जगनमोहन रेड्डी ने 72 घंटे के सीमांध्र बंद के साथ Fast unto death का ऐलान भी कर दिये है। सीमांध्र से आने वाले मरकज़ी वुजराओ के इस्तीफे का सिलसिला जुमे के दिन भी जारी रहा। वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह ने उनका इस्तीफा कुबूल नहीं किया, लेकिन इंसानी वसाएल के वज़ीर पल्लम राजू अपने इस्तीफे पर अड़े हैं।

सीमांध्र में हो रहे एहतिजाजी मुज़ाहिरो को फितरी बताते हुए वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे ने साफ किया कि साल के आखिर तक तेलंगाना की तश्कील को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वसाएल की तकसीम पर जीओएम की रिपोर्ट के बाद सरमाई सेशन में मुताल्लिक बिल पार्लियामेंट में पेश कर दिया जाएगा। जीओएम में शिंदे के इलावा देही तरक्की के वज़ीर जयराम रमेश, ट्रांपोर्ट मिनिस्टर आस्कर फर्नाडिस, तावानाई के वज़ीर ज्योतिरादित्य सिंधिया और पर्सनल अफेयर्स नारायण सामी के साथ 10 वुजराओं को शामिल किया गया है। प्लानिंग कमीशन के नायब सदर मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी जीओएम में हैं। जीओएम दोनों रियासतों के बीच सरहद की हद से लेकर सरकारी ओहदेदारान , नदियों , बिजली, सड़क व सरकारी असासाजात के बंटवारे का खाका तैयार करेगा। साथ ही 10 साल तक हैदराबाद के ज्वाइंट कपिटल रहते हुए दोनों रियासतों के दायरा इक्तेयार को भी वाजेह करेगा।

शिंदे भले ही सीमांध्र में एहतिजाजी मुज़ाहिरों को फितरी बता रहे हों, लेकिन चुनावी नुकसान को देखते हुए यहां के लीडरों में बेचैनी है। यही वजह है कि चिरंजीवी (Tourism Minister) के बाद पल्लम राजू ने भी इस्तीफा दे दिया। एक ओर हुकूमत के फैसले ने सीमांध्र के कांग्रेस नेताओं को बैकफुट पर ला दिया है। वहीं जगनमोहन रेड्डी ने आज ( हफ्ते) से Fast unto death का ऐलान कर बढ़त बना ली है। सीमांध्र के सभी 13 जिलों में एहतिजाजी मुजाहिरों का दौर जारी है। आम जनता के साथ सरकारी आफीसर और मुलाज़िम भी सड़क पर उतर आए हैं।