जोगी पेट में जमात-ए-इस्लामी की जानिब से सीरतुल नबी स्०अ०व्० का जलसा बउनवान सीरतुल नबी का पैग़ाम तमाम इंसानी साइल का हल बमुक़ाम बहादुर ख़ान फंक्शन हाल में मुनाक़िद हुआ । जिस का आग़ाज़ जनाब मुहम्मद नाज़िम उद्दीन ( सदर जमात-ए-इस्लामी हिंद जोगी पेट ) की तिलावत-ओ-तर्जुमानी से हुआ ।
जनाब मुहम्मद तीमीह ख़ादिम ने इफ़्तेताही कलिमात अदा किए । इसके बाद जनाब मुहम्मद मुईन ने तक़रीर की जिस में उन्हों ने लोगों को ये पैग़ाम दिया कि हमें ज़रूरत इस बात की है कि हम अपने प्यारे नबी स०अ०व० के किरदार को अतवार को अख़लाक़ को अपनी ज़िंदगी में लाएं तो हम कामयाब हो सकते हैं वर्ना नाकाम हो जाएंगे और हम हक़ीक़ी मानी में आशिक़ ए नबी नहीं होसकते । इस के बाद जनाब मुहम्मद अनवर उद्दीन ने मुख़ातिब करते हुए कहा कि हमें आप स०अ०व० की ज़िंदगी को नमूना और अपने लिए आईडीयल बनाना चाहीए । इसी के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना चाहीए ।
मेहमान मुक़र्रर-ओ-ख़ुसूसी मेहमान सदर जलसा जनाब मुहम्मद रियाज़ उद्दीन ( नाज़िम ज़िला मेदक जमात-ए-इस्लामी हिंद ) ने मुख़ातिब किया और सीरत के मुख़्तलिफ़ पहलोओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि अज़मत रसूल स०अ०व० , हुब्बे रसूल स्०अ०व्० इताअत रसूल , इत्तेबा रसूल ज़रूरी है । उन्हों ने कहा कि हमारे सामने दो चीज़ें हैं एक किताब यानी क़ुरआन-ए-करीम और दूसरी चीज़ साहिब किताब यानी नबी करीम स्०अ०व्० की ज़िंदगी , किताब को समझने के लिए साहिब किताब की ज़िंदगी को देखना होगा । इन दोनों को एक दूसरे से बहुत गहरा ताल्लुक़ है ।
दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता । इस लिए ज़रूरत इस बात की है कि क़ुरआन-ए-करीम को ख़ुद पढ़ें और समझें और इस पर अमल करें । ख़ुद भी नेक बनें और बंदगान ख़ुदा तक इस के पैग़ाम को पहूँचाएं और दूसरों को नेक बनाए |