अंकारा: सीरिया के शहर अलेप्पो में विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी भाग में रहने वाली सात वर्षीय सीरियाई लड़की बना अलअब्द ने तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान से मुलाकात की है। बना अलअब्द ने पूर्वी अलेप्पो में अपने दैनिक जीवन के बारे में सोशल साइट ट्विटर पर शेयर कर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। बना अलअब्द और उनके छोटे भाई को अंकारा के राष्ट्रपति परिसर में राष्ट्रपति एर्दोगान के साथ तस्वीर में देखा जा सकता है।
बीबीसी की रिपोर्टों के अनुसार बना अलअब्द और उनके परिवार के पूर्वी अलेप्पो वापसी के बाद उन्हें तुर्की लाने के लिए राष्ट्रपति एर्दोगान ने विशेष प्रतिनिधि सीरिया भेजा था। बना की ज़िंदगी की कठिनाइयां उस समय सामने आई थीं जब उन्होंने सितंबर में ट्विटर का सहारा लिया। ट्विटर के माध्यम से उन्होंने अपने दोस्तों की मौत से लेकर सामान्य जीवन जीने के अपने प्रयासों में सब कुछ साझा किया था।जल्द ही ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की संख्या तीन लाख से अधिक हो गई जिनमें जेके रोलिंग शामिल हैं जिन्होंने उन्हें हैरी पॉटर का इलेक्ट्रॉनिक कॉपी भी भेजी थी।
बुधवार को बना राष्ट्रपति एर्दोगान के साथ अपनी तस्वीर ट्वीट की और लिखा कि वह राष्ट्रपति से मिलकर ‘खुश’ हैं जबकि एक छोटे वीडियो में उन्हें यह कहते सुना जा सकता है कि ‘अलेप्पो के बच्चों की मदद करने और हमें युद्ध से निकालने के लिए धन्यवाद ‘
आपको बता दें कि बना की मां फातिमा ने ट्विटर अकाउंट इस उद्देश्य के तहत बनाया था कि वह बता सकें कि ‘बम और इन सब से कुछ बच्चे किस तरह प्रभावित हो रहे हैं।
हाल के सप्ताहों में बना अलअब्द और उसकी माँ ने मदद की गुहार लगाई थी, जब सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना विद्रोही क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ रहे थे, सीरियाई और रूसी लड़ाकू विमान हवाई बमबारी कर रहे थे।सरकारी बलों से घिरे जाने के बाद वापसी की योजना के तहत यह परिवार क्षेत्र छोड़ने में सफल हुआ था। लेकिन उन्होंने ज्यादा देर रहने न दिया। कुछ ही घंटों में बना, उसकी माँ, पिता और छोटे भाई को हेलिकॉप्टर से तुर्की पहुंचा दिया गया।
कुछ लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि क्या यह ट्विटर अकाउंट शोहरत पाने केलिए बनाया गया था और उनका दावा है कि बना अलअब्द पहले से ही तुर्की में रह रही थीं। हालांकि नागरिक पत्रकारिता साइट बिलिंग केट की जांच के अनुसार वे पूर्व अलेप्पो से ही ट्वीट कर रही थीं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह परिवार तुर्की में ही रहेगा या नहीं, जहां पहले से ही 28 लाख सीरियाई शरणार्थी रहते हैं।
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