दुनिया के कई देश, युद्ध और हिंसा के चलते विस्थापित हुए लोगों को वापस उनके देश वापस भेजने पर जोर दे रहे हैं. लेकिन तमाम अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने इस नीति को जोखिम भरा करार दिया है. साथ ही इसे असुरक्षित बताया है.
अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने सीरिया शरणार्थियों की वापसी को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में शरणार्थियों पर वापसी का दबाव बना रहे मध्य पूर्व और अन्य पश्चिमी देशों को चेतावनी दी गई है. नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) और केयर इंटरनेशनल ने इस रिपोर्ट में डिपोर्टेशन के ट्रेंड पर विस्तार से चर्चा की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने सीरियाई शरणार्थियों की वापसी का समय साल 2018 तक तय किया है. रिपोर्ट के मुताबिक यह नीति जोखिम भरी है क्योंकि अब भी सीरिया के कई क्षेत्रों में हिंसा, बमबारी जारी है.
रिपोर्ट “डेंजर्स ग्राउंड” में कहा गया है कि शरणार्थियों को वापस भेजने की नीति मेजबान देशों के एजेंडे में अहम है. सीरिया में तनाव कायम है लेकिन दुनिया भर में शरणार्थियों के खिलाफ बढ़ते अंसतोष के चलते साल 2017 में मेजबान देशों ने इनकी वापसी पर जोर देना शुरू कर दिया.
रिपोर्ट में दिए आंकड़ों में कहा गया है कि जो शरणार्थी सीरिया वापस लौटे थे उनमें से तमाम लोगों को संघर्ष का सामना करना पड़ा. इस विवाद और संघर्ष के चलते साल 2011 तक करीब 3.40 लाख लोग मारे गए थे.
लेकिन साल 2017 तक मरने वालों की संख्या 7.21 लाख हो गई. इसमें कहा गया है कि साल 2018 में करीब 15 लाख सीरियाई लोगों के विस्थापित होने की आशंका है.