सीरिया से अमेरिकी फौजों का बाहर होना: जानिए, कौन बना बली का बकरा?

एक सैनिक रणनीति है कि यदि अपनी खुली हार का दायरा और नुक़सान कम करना हो तो आनन फ़नन में अपनी जीत का एलान करो और मोर्चा छोड़कर पीछे हट जाओ क्योंकि युद्ध समाप्त करने का सबसे अच्छा रास्ता यही है।

हो सकता है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को यह रणनीति मालूम न हो क्योंकि उनकी सारी दक्षता व्यापारिक सौदे और ज़मीनें ख़रीदने की है मगर निश्चित रूप से ट्रम्प के साथ कुछ सलाहकार एसे होंगे जिन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी होगी और इसी तरह उन्हें युद्ध के मोर्चों की असली स्थिति का भी भलीभांति ज्ञान होगा।

वाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्ज़ ने बुधवार को घोषणा की कि अधिक से अधिक दो या तीन महीने के भीतर सभी अमरीकी सैनिकों को जिनकी संख्या 2000 है सीरिया से बाहर निकाल लिया जाएगा। एक अन्य अमरीकी अधिकारी ने कहा कि सीरिया में अमरीकी विदेश मंत्रालय के जितने भी कर्मचारी हैं वह 48 घंटे के भीतर इस देश से बाहर निकल जाएंगे।

डोनल्ड ट्रम्प ने अपने इस फ़ैसले का तर्क अपने ट्वीट में दिया। उन्होंने लिखा कि सीरिया में अमरीकी सैनिकों की तैनाती का एकमात्र कारण आतंकी संगठनों से लड़ना था और अब जब यह लक्ष्य पूरा हो चुका है और दाइश को पराजय हो चुकी है तो हमने अपनी सेना को सीरिया से बाहर निकालने का फ़ैसला कर लिया है। इस फ़ैसले में बहुत से आयाम संदिग्ध हैं वैसे भी यह फ़ैसला अचानक किया गया है।

अभी एक हफ़्ता पहले सीरिया में आतंकवाद से लड़ने के नाम पर बने अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन में अमरीका के दूत ब्रेट मैकगोर्क ने कहा कि अभी कुछ समय तक अमरीकी सेनाएं सीरिया में तैनात रहेंगी जबकि युद्ध मंत्री जेम्ज़ मैटिज़ जो नए साल में संभवतः इस पद से हट जाएंगे कई बार कह चुके हैं कि यदि अमरीकी जल्दबाज़ी में सीरिया से अपने सैनिक निकाले तो एक शून्य उत्पन्न होगा जिसे राष्ट्रपति असद, ईरान और रूस भर देंगे। यही बात अमरीकी सेनेटर लिंडसे ग्राहम भी कह चुके हैं जिन्हें ट्रम्प के क़रीब समझा जाता है।

जहां तक यह बात है कि फ़ुराद नदी के पूर्वी इलाक़ों में दाइश का ख़ात्मा कर दिया गया है तो यह दावा सही नहीं है। इस इलाक़े में दाइशी तत्व मौजूद हैं जिनसे कुर्द फ़ोर्सेज़ के गंभीर ख़तरा भी है। इसलिए ट्रम्प द्वारा दिया गया तर्क सही नहीं है।

यदि हम ट्रम्प के फैसले के कारणों को समझना चाहें तो कुछ बातों पर ध्यान देना ज़रूरी होगी तभी हम समझ पाएंगे कि सीरिया से अचानक अमरीका के भाग निकलने की वजह क्या है।

सबसे पहली चीज़ तो यह है कि हालिया दस दिनों में तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने बार बार कुर्द फ़ोर्सज़ पर हमला करने की धमदी है जिन्हें अमरीका से मदद मिल रही है। तुर्की का कहना है कि यह फ़ोर्सेज़ तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्ष और अखंडता के लिए ख़तरा हैं क्योंकि वह तुर्की के पीकेके संगठन की सहयोगी हैं जो तुर्की का बंटवारा करके अपना सरकार बनाने के प्रयास में है।

दूसरी बात यह है कि इस बात की संभावना है कि ट्रम्प और तुर्क राष्ट्रपति अर्दोगान के बीच अमरीका और तुर्की को टकराव से बचाने के लिए कोई समझौता हुआ हो और दोनों देश पहले के स्ट्रैटेजिक संबंध बहाल करना चाहते हों।

एसा सोचने का कारण यह है कि दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच हालिया दिनों के भीतर कई बार वार्ताएं हुईं और सारा सैंडर्ज़ ने बताया है कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने तुर्क राष्ट्रपति को सूचित कर दिया है कि वह तुर्की के विद्रोही नेता फ़त्हुल्ला गोलेन को तुर्की को प्रत्यर्पित करने पर विचार कर रहे हैं। गोलेन पर आरोप है कि वह विफल सैनिक विद्रोह के सूत्रधार थे।

तीसरी चीज़ यह है कि यह हो सकता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस्लामी गणतंत्र ईरान पर दबाव बढ़ाना चाहते हों और इसी लिए उन्होंने सीरिया से तत्काल बाहर निकलने का फ़ैसला कर लिया हो ताकि यह डर न रहे कि सीरिया के भीतर अमरीकी सैनिकों को निशाना बनाया जा सकता है इसी प्रकार ट्रम्प इराक़ से भी अपने 5200 सैनिकों को सकता है कि इसी विचार के तहत बाहर निकाल लें जबकि अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैनिकों को निकालने के बारे में इमारात में बातचीत हो ही रही है।

चौथी बात यह है कि संभव है कि सऊदी अरब, इमारात और हो सकता है कि क़तर के साथ भी अमरीका का समझौता हो गया हो कि अमरीकी सैनिकों के स्थान पर इन देशों के सैनिक सीरिया में तैनात हो जाएंगे और वह कुर्द फ़ोर्सेज़ की आर्थिक और सैन्य सहायता करेंगे क्योंकि मीडिया में यह ख़बरें आईं कि अमरीका समर्थित कुर्द फ़ोर्सेज़ के कंट्रोल वाले इलाक़ो का सऊदी अरब के मंत्री तामिर सबहान ने दौरा किया था। यह अटकलें भी लगाई गईं हैं कि अमरीकी सैनिकों का स्थान सूडानी सैनिक ले सकते हैं।

साभार- ‘parstoday.com’