मशहूर शा’इर इमरान प्रतापगढ़ी ने प्रशांत भूषण के नाम एक खुला ख़त लिखा है जिसमें उन्होंने दादरी मुद्दे पर प्रशांत भूषण की ख़ामोशी को निशाना बनाया है. ख़त पढ़ें..
वकील बाबू
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आप ठहरे इलाहाबादी !
सोचा था शहाबुद्दीन की ज़मानत रद्द करवाने की बधाई आपको मिलकर दूँगा !
लेकिन अफसोस कि आप केजरीवाल के बरअक्स एक नई पार्टी बनाने में व्यस्त हैं तो परेशान करने का मन नहीं हुआ !
आपकी जीवटता, जिजीविषा को पूरा देश सराहता है, मैं भी उन्हीं में शामिल हूँ, जब आपको केजरीवाल जी ने पार्टी से निकाला तो बुरा सा लगा था मुझे, कश्मीर मुद्दे पर जब आपसे हाथापाई हुई तब भी चिंतित हुआ था मैं…..इलाहाबाद रहता हूँ तो आपसे अपनापन सा लगता है !
एक ज़मानत, गाडियों का क़ाफ़िला, मीडिया का हायतौबा आपका ट्वीट !
और हाईकोर्ट से ज़मानत पाये शहाबुद्दीन फिर सलाखों के उस पार !
क्या ज़बरदस्त तर्क दिया आपने सुप्रीम कोर्ट में…माई लॉर्ड बडा दहशत का माहौल है सीवान में, लोग डरे सहमें हैं
और आपकी आवाज़ में एैसी तासीर थी कि सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश महोदय तक पसीज गये !
तकरीबन 700 किमी. दूर की दहशत को दिल्ली में बैठकर महसूस किया आपने, गज़ब ……!
लेकिन प्रशांत भूषण जी
दिल्ली से महज़ 40-50 किमी. दूर बिसाहडा(दादरी) की दहशत नहीं महसूस हो रही आपको…….वाक़ई कमाल है
तिरंगे का अपमान हो रहा है…….नहीं दिख रहा आपको
क़ातिल की स्वाभाविक मौत पर शहीद बताकर 25 लाख का मुआवज़ा वसूल लिया जा रहा है सरकार से !
मुसलमानों को उजाडने की बातें हो रही हैं माइक से, लोग पलायन कर रहे हैं, और हैरत है कि आपको ये वाली दहशत नज़र तक नहीं आ रही !
आप भी सेलेक्टिव से हो गये हैं प्रशांत जी !
कुछ ना करिये
तो कम से कम तिरंगे के अपमान, और एक हत्यारोपी को 25 लाख के मुआवजे पर एक PIL तो दाखिल कर ही दीजिये !
वरना सच में आपकी विश्वसनीयता पर ख़तरा उत्पन्न हो गया है
जब आप शहाबुद्दीन जैसे शख्स को पुन: जेल भेज सकते हो तो रवि जैसे नृशंस हत्यारे की लाश पर डालकर तिरंगे का अपमान करने वालों और दंगाइयों के आगे नतमस्तक उ.प्र. की सरकार के 25 लाख मुआवज़ा देने की घोषणा पर रोक तो लगवा ही सकते हैं !
आपका शुभचिंतक हूँ तो सोचा आपसे निवेदन कर लूँ
क्यूँकि असली दहशत क्या होती है दंगाई माहौल की, उसे हम उ.प्र. वाले ही महसूस कर पा रहे हैं !
(इमरान प्रतापगढ़ी)