सी ए जी कोई मुनीम नहीं दस्तूरी (Constitutional) अथॉरीटी है : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, ०२ अक्टूबर ( पी टी आई ) ये वाज़िह करते हुए कि कमपटरोलर एंड आडीटर जनरल कोई मुनीम नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज एक दरख़ास्त मुस्तर्द ( रद्द) कर दी जिस में कोयला ब्लॉक्स अलाटमेंट को ऑडिट करने सी ए जी के इख़तियार को चैलेंज किया गया था ।

जस्टिस आर एम लोधा और जस्टिस ए आर दावे पर मुश्तमिल ( सम्मिलित) एक बंच ने कहा कि सी ए जी एक दस्तूरी अथॉरीटी है और वो मर्कज़ ( केंद्र) रियासतों और मर्कज़ी ज़ेर इंतेज़ाम इलाक़ों में किसी भी मालिया अलाटमेंट के मुआमला की ऑडिट कर सकती है ।

दरख़ास्त गुज़ार अरविंद गुप्ता के वकील संतोष पाल से अदालत ने कहा कि सी ए जी कोई मुनीम नहीं है । वो एक दस्तूरी अथॉरीटी है और वो किसी भी अलाटमेंट की ऑडिट कर सकता है जिस का मईशत (जीवनधार) से ताल्लुक़ हो । अब इस को क़बूल करना या मुस्तर्द करना पार्ल्यमंट ( संसद) का काम है ।

बंच ने कहा कि वसाइल का मयस्सर इस्तेमाल सी ए जी की बुनियादी ज़िम्मेदारी है और उसे तमाम पहलोओं का जायज़ा लेना चाहीए । सी ए जी रिपोर्टस पर ग़ौर के लिए एक बेहतर और मयस्सर मेकानिज़्म पाया जाता है । सी ए जी पेश करदा ऑडिट रिपोर्टस की जांच पड़ताल पार्लीमेंट ( संसद) या असेंबली ( विधानसभा) करेगी ।