रियास्ती सी पी आई सेक्रेटरी डक्टर के नारायणा ने बताया कि साल 1969 में अलहदा तेलंगाना जद्द-ओ-जहद और साल 1972 में जय आंध्र मूवमेंट के बावजूद सी पी आई मुत्तहदा रियासत आंध्र प्रदेश का मौक़िफ़ इख़तियार की थी।
लेकिन साल 2004 में यही सी पी आई ने हालात को पेशे नज़र रखते हुए अलहदा रियासत तेलंगाना की तशकील के लिए मुकम्मिल ताईद करने का फ़ैसला किया है और आज भी इसी फ़ैसले की साफ तौर पर मुकम्मिल पाबंद है।
और सी पी आई ने किसी भी मुआमले में अपने किए हुए फ़ैसले पर पाबंद रहने वाली जमात है। ख़ाह हालात-ओ-सूरत-ए-हाल कुछ ही उलट पुलट भी क्यों ना हो जाएं।
डक्टर के नारायणा जो रियासत में सीमा आंध्र जद्द-ओ-जहद का आग़ाज़ होने के बाद पहली मर्तबा विजय्वाड़ा के दौरे पर रवाना हुए थे वहां पर सी पी आई क़ाइदीन के एक मीटिंग से ख़िताब करते हुए रियासत की ताज़ा तरीन सयासी सूरत-ए-हाल और सी पी आई के पार्टी फ़ैसलों को वाज़िह किया और बताया कि सी पी आई कभी भी अपने किए हुए फ़ैसलों पर कारबन्द रहने से कभी इन्कार नहीं की है।
जबकि दुसरे पार्टीयां अपने किए हुए पालिसी फ़ैसलों पर बरक़रार ना रहते हुए मौकापरस्त इक़दामात करने की आदी होचुकी हैं। उन्होंने इस मौके पर कांग्रेस तेलुगूदेशम सी पी आई कट और वाई एस आर कांग्रेस पार्टी को सख़्त तन्क़ीद का निशाना बनाया।
इन जमातों के तर्ज़ अमल पर अपनी नापसंदीदगी का इज़हार किया और सी पी आई के इख़तियार करदा मौक़िफ़ की भरपूर मुदाफ़अत की।
उन्होंने रियासत में अलहदा रियासत तेलंगाना और मुत्तहदा आंध्र जद्द-ओ-जहद-ओ-जारी एहतेजाज के लिए सदर कुल हिंद कांग्रेस कमेटी सोनीया गांधी को ज़िम्मेदार टहराया और कहा कि उन्होंने (सोनीया गांधी) ने बगै़र सोचे समझे अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ फ़ौरी अचानक अलहदा रियासत तेलंगाना की तशकील का फ़ैसला कर दिया।