गोहाटी हाईकोर्ट के फ़ैसले में सी बी आई की तशकील को ग़ैर दस्तूरी क़रार देने के एक दिन बाद हुकूमत ने कहा कि वो इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेगी। मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून कपिल सिब्बल ने एक प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए कहा कि महिकमा पर्सोनल अपील करना चाहता है इस लिए इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ (सुप्रीम कोर्ट में )अपील की जाएगी। महिकमा पर्सोनल विज़ारते इंतिज़ामीया बराए सी बी आई है। कपिल सिब्बल ने कहा कि महिकमे में इस मसले पर उनके साथ तबादला-ए-ख़्याल किया गया और अपील करने का फ़ैसला किया गया दिन में वज़ीर-ए-ममलकत बराए पर्सोनल वे नारायण स्वामी ने वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की।
समझा जाता है कि वो अदालती फ़ैसले के असरात पर तबादले ख़्याल के लिए गए थे। ऐडीशनल सॉलिसीटर जनरल पी पी मल्होत्रा ने कहा कि वो इस मुक़द्दमे में हाईकोर्ट में पेश होचुके हैं। फ़ैसला क़तई ग़लत है। उसको कुलअदम क़रार दिया जाना लाज़िमी है। हुकूमत यक़ीनन उसको चैलेंज करेगी और इमकान है कि पीर तक सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। गोहाटी हाईकोर्ट ने कल एक अजीब फ़ैसला सुनाते हुए इस क़रारदाद को कुलअदम क़रार दिया जिस के तहत सी बी आई तशकील दी गई थी और उसकी कार्यवाईयों को अदालत ने ग़ैर दस्तूरी क़रार दिया।
जस्टिस आई के अंसारी और जस्टिस इंदिरा शाह पर मुश्तमिल डीवीझ़न बंच का ये फ़ैसला नरेंद्र कुमार की दरख़ास्त पर सुनाया गया जिन्होंने 2007 में हाईकोर्ट के वाहिद जज के फ़ैसले को जो इस क़रारदाद के बारे में था जिस के तहत सी बी आई तशकील दी गई थी ,चैलेंज किया था।मल्होत्रा ने कहा कि हुकूमत की सी बी आई तशकील देने के बारे में क़रारदाद को सुप्रीम कोर्ट अपने कई फ़ैसलों में बार बार कारआमद क़रार दे चुकी है।
सी बी आई के सरबराह रणजीत सिन्हा ने कहा कि गोहाटी हाईकोर्ट के फ़ैसले का मुताला किया जा रहा है और सी बी आई अपनी राय महिकमा पर्सोनल-ओ-तर्बीयत को पेश करदेगी। उन्होंने कहा कि हम इस सूरत-ए-हाल पर हुकूमत से फ़ौरी कार्रवाई की दरख़ास्त कर रहे हैं। मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून कपिल सिब्बल ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान ये भी कहा था कि सी बी आई ने गोहाटी हाईकोर्ट के फ़ैसले के बारे में क़ानूनी राय तलब की है।
सी बी आई के तर्जुमान कंचन प्रसाद ने जुमा के दिन कहा था कि सी बी आई गोहाटी हाईकोर्ट के फ़ैसले के बारे में क़ानूनी राय हासिल कर रही है और इस के बाद महिकमा पर्सोनल को सुप्रीम कोर्ट में मुनासिब कार्रवाई की सिफ़ारिश की जाएगी। अपने 89 सफ़हात पर मुश्तमिल फ़ैसले में जस्टिस अंसारी और जस्टिस इंदिरा शाह ने कहा था कि हम डी एस पी ई ऐक्ट 1946 को कारआमद क़रार देने से इनकार करते हैं और उस को ग़ैर दस्तूरी क़रार देते हैं।
सी बी आई डी एस पी का हिस्सा नहीं है इस लिए उसको इस क़ानून के तहत तशकील दी हुई पुलिस फ़ोर्स क़रार नहीं दिया जा सकता। बालफ़ाज़ दीगर गोहाटी हाईकोर्ट की डीवीझ़न बेंच ने सी बी आई की तशकील को ख़ुद ग़ैर दस्तूरी क़रार दिया था।