सुंन‌त नबवी के मुताबिक़ जिन्ना ने ग़ैरमुस्लिमों से रवादारी पर ज़ोर दिया था

पाकिस्तान के बानी मुहम्मद अली जिन्नाह ने अपने मुल्क के क़ियाम के दिन की गई तक़रीर के दौरान पाकिस्तान में तमाम तबक़ात की फ़लाह-ओ-बहबूद की बात कही थी जिसको आज तक कभी मंज़रे आम पर नहीं लाया गया।

ऑल इंडिया रेडियो पर 14 अगस्त 1947-ए-को रिकार्ड शूदा मुख़्तसर ख़िताब में काइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्नाह ने पाकिस्तान में ग़ैरमुस्लिमों के साथ रवादारी और ख़ैरसगाली जज़बा के मुज़ाहरा पर ज़ोर देते हुए पैग़ंबर इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाह‌ अलैहि वसल्लम की तालीमात और मुग़ल शहनशाह अकबर-ए-आज़म के अमल का हवाला भी दिया था।

काइद-ए-आज़म ने कहा था कि ये हमारी जहद मुसलसल होगी कि पाकिस्तान में तमाम तबक़ात की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए काम किया जाये और में उमीद करता हूँ कि अवामी ख़िदमत के इस नज़रिया से हर कोई दरस हासिल करेगा और वो पाकिस्तान को एक अज़ीम मुल्क-ओ-क़ौम बनाने के लिए सियासी-ओ-शहरी कार-ए-ख़ैर के लिए मदद‌ करेंगे और पुख़्ता अज्म का मुज़ाहरा करेंगे।

हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाह‌ अलैहि वसल्लम की सुंन‌त का हवाला देते हुए मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि नबी करीम स0 अलैहि वसल्लम ने फ़तह मक्का के बाद ना सिर्फ़ कोई बल्कि अमल के ज़रिया यहूदियों और नस्रानियों के साथ हुस्न-ए-सुलूक फ़रमाया था। आप ने यहूदियों और ईसाईयों के अक़ाइद के तईं मामूली रवादारी-ओ-एहतिराम का मुज़ाहरा फ़रमाया।

काइद-ए-आज़म जिन्नाह ने अपने इस ख़िताब में मज़ीद कहा था कि सारी तारीख़ गवाह है कि मुस्लमानों ने जहां कहीं हुक्मरानी की, वहां इस किस्म के अज़ीम इंसानी ओसूलों पर अमल किया गया और हमें भी इन (ओसूलों) पर अमल करने की ज़रूरत है। मैगज़ीन के मुताबिक़ जिसने अपने ताज़ा तरीन शुमारा में जिन्ना का ये ख़िताब शाय किया है, ये भी कहा गया कि कराची में ये तक़रीर रिकार्ड की गई थी जिस को आज की तारीख़ तक भी मंज़रे आम पर नहीं लाया गया, लेकिन एक आर टी आई जहद कार सुभाष चंद्रा अग्रवाल की तरफ़ से दायर करदा दर्ख़ास्त पर हुकूमत ने एक दूसरे ख़िताब के साथ ये तक़रीर भी जारी की है।

एक और तक़रीर में जो 3 जून 1947-ए-को ऑल इंडिया रेडियो की तरफ़ से रिकार्ड की गई थी। मुहम्मद अली जिन्ना मरहूम ने हिंदुस्तान के तमाम तबक़ात बिलख़सूस मुस्लमानों पर ज़ोर दिया था कि वो इक़तिदार की मुंतक़ली के वक़्त अमन‍ओ‍ज़ब्त बरक़रार रखें। उन्होंने कहा था कि बिलख़सूस हिंदुस्तानी क़ाइदीन के कंधों पर ये भारी ज़िम्मेदारी आइद होती है कि वो इक़तिदार की पुरअमन मुंतक़ली को यक़ीनी बनाए चुनांचे इस मक़सद पर हमें अपनी तमाम तर तवानाई मर्कूज़ करना होगा।

मुहम्मद अली जिन्ना मरहूम ने पाकिस्तान के शुमाल मग़रिबी सूबा सरहद में जारी तहरीक सियोल नाफ़रमानी ख़त्म करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए वहां रैफ़रंडम करवाने का वाअदा भी किया था।