पटना : बिहार में सूखे की हालत की संजीदगी से देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सूखे से निपटने के लिए सरगर्म पॉलिसी बनाने की हिदायत दिया। इसके अलावा बिहार, गुजरात और हरियाणा सरकार को सूखे का एलान नहीं करने पर फटकार भी लगाई।
स्वराज आंदोलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि केंद्र सरकार भी रियासतों को सूखाग्रस्त के एलान करने के लिए कोई सांइस्टिक तरीका अपनाए। इसे सियासी मुद्दा न बनाया जाए। किसानों की खुदकुशी भी संगीन मुद्दा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि फौरन मुल्क में सूखे की हालत से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स की तशकीन करे। इसके अलावा केंद्र एक सूखा फंड बनाये।
ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कल बताया था कि मुल्क की 25 फीसद से ज्यादा की आबादी, 313 जिलों के 58,205 गांवों के सूखे के बोहरान से मुतासिर हैं और इस हालत से निपटने के लिए सरकार को कुछ तब्दीली करने होंगे। ऊपरी इलाकों में बांधों की तामीर पर पर्यावरणविदों की चिंताओं के विषय पर उन्होंने कहा कि ऐसी सभी चीजों पर राष्ट्रीय मंजुरी बनानी होगी। साथ ही स्वच्छ भारत मिशन की तरह नदियों को आपस में जोड़ने की मनसुबा को भी राष्ट्रीय तहरीक की शक्ल देना होगा।