सुख राम और साथीयों को राहत नहीं, ख़ुद सपुर्द होने सुप्रीम कोर्ट की हिदायत

नई दिल्ली, ०६ जनवरी: (पी टी आई) साबिक़ वज़ीर टेलीकॉम सुख राम जो 1993 में बदउनवानी के एक मुआमला में मुलव्वस हैं, को इस वक़्त एक धक्का और लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक ट्रायल कोर्ट के रूबरू ख़ुद सपुर्द होने की हिदायत की ताकि वो अपने तीन साला क़ैद की मीयाद पूरी कर सकें।

अपेक्स कोर्ट ने सुख राम की सज़ा-ए-बरक़रार रखने दिल्ली हाइकोर्ट के हुक्मनामा में दख़ल अंदाज़ी ना करने के इलावा सुख राम के दीगर साथीयों को भी राहत फ़राहम करने से इनकार करदिया, जिन में साबिक़ ब्यूरोकेरेट रोनो घोष और ख़ानगी टेलीकॉम फ़र्म के मैनेजिंग डायरैक्टर पी रामा राव शामिल हैं।

उन्हें भी अपनी सज़ाए क़ैद मुकम्मल करने की हिदायत की गई है। जस्टिस पी सथासीवम और जय चीलामीशोर पर मुश्तमिल एक बंच ने तीनों को राहत फ़राहम करने से इनकार करदिया और कहा कि इन की दाख़िल करदा दरख़ास्तों पर सिर्फ उसी वक़्त ग़ौर किया जाएगा जब वो शाम तक अदालत के रूबरू ख़ुद सपुर्द हो जाएं।

याद रहे कि साबिक़ वज़ीर और दीगर को मुबय्यना तौर पर एक मुजरिमाना साज़िश का हिस्सा होने पर क़सूरवार ठहराया गया था। उन्हों ने टेलीकॉम साज़-ओ-सामान फ़राहम करने का कौंट्रैक्ट हैदराबाद की एडवांस्ड रेडीयो मासटर्स (ARM) को दीगर अवामी खज़ाने को करोड़ों रुपय का धोका दिया था। मज़कूरा कंपनी ने ज़्यादा क़ीमतें लेकर नाक़िस मयार का साज़-ओ-सामान फ़राहम किया था।

सुख राम और ARM के मनीजिंग डायरैक्टर पी रामा राव को फी कस तीन साल की सज़ाए क़ैद सुनाई गई है जबकि टेलीकॉम डिपार्टमैंट के साबिक़ डिप्टी डायरेक्टर जनरल रोनो घोश को दो साल की सज़ाए क़ैद सुनाई गई है। सुख राम ने कल सुप्रीम कोर्ट से रुजू होते हुए हाइकोर्ट के 21 डसमबर के हुक्मनामा पर अल्तवा की ख़ाहिश ज़ाहिर की थी, जिस ने उन की सज़ा-ए-बरक़रार रखी है।

दूसरी तरफ़ घोष और राव ने हाइकोर्ट के हुक्मनामा पर अलतवा केलिए अपेक्स कोर्ट से राबिता क़ायम किया था। इन की सज़ाओं को बरक़रार रखते हुए हाइकोर्ट ने तमाम तीनों मुल्ज़िमीन को 5 जनवरी तक ट्रायल कोर्ट के रूबरू सपुर्द होजाने की हिदायत की थी ताकि वो अपनी सज़ाओं को शुरू कर सकें।