नई दिल्ली, 11 दिसंबर: अमेरीकी सफ़ीर बराए हिंद नेन्सी जय पॉवेल ने नई दिल्ली के हाबेटाट सेंटर में साईंस में ख़वातीन के मौज़ू पर एक वर्कशॉप से ख़िताब करते हुए सबसे पहले डी एस टी सेक्रेटरी डाक्टर रामा सामी और हिंदूस्तान के दीगर साईंसदानों का शुक्रिया अदा किया ।
उन्होंने कहा कि आज की वर्कशॉप सिर्फ़ साईंस में ख़वातीन के मौज़ू पर नहीं है बल्कि तालीम की अहमियत और ख़ुसूसी तौर पर साईंस जैसे मज़मून में तालेबा की दिलचस्पी को बढ़ाने के बारे में भी है। उन्होंने वाज़िह तौर पर कहा कि हिंदूस्तान और दुनिया का मुस्तक़बिल आज के इन तालेबा के मरहून-ए-मिन्नत होगा जो साईंस जैसे मज़मून में ख़ुसूसी दिलचस्पी लेंगे ।
अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने साईंस में ख़वातीन के मौज़ू पर मुनाक़िदा तीन दीगर वर्कशॉप्स का भी तज़किरा किया। इस मौक़ा पर उन्होंने डी एस टी मुशीर डाक्टर विनीता शरमन और अपने एक हमजमाअत बलेर पाल का भी शुक्रिया अदा किया और कहा साईंस के मौज़ू पर हिंद अमरीका को करीब तर करने उनकी मसाई क़ाबिल-ए-सताइश है।
इस मौक़ा पर उन्होंने हिंदूस्तानी नज़ाद ख़ातून ख़ला बाज़ सुनीता विलियम्स का भी तज़किरा किया जिनका ताल्लुक़ नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) से है और जिनकी ख़ानदानी जड़ें हिंदूस्तान की रियासत गुजरात से जुड़ी हुई हैं।
सुनीता विलियम्स के पास आज ख़लाई सफ़र के तीन अहम रिकॉर्ड्स हैं जिनमें तवील तरीन ख़लाई परवाज़ , तवील तरीन ख़लाई चहलक़दमी और ख़ला में तवील तरीन क़ियाम शामिल हैं। अपने ख़िताब के आख़िर में नेन्सी जय पॉवेल ने कहा कि जिस वक़्त हिंद ओ अमेरीका किसी मुशतर्का निशाने के हुसूल के लिए साथ काम करते हैं तो इसमें कामयाबी हासिल करना तक़रीबन यक़ीनी हो जाता है।
उन्होंने इस मौक़ा पर साईंस के शोबा में ख़वातीन के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मौके पैदा करने के लिए तजावीज़ पेश करने वालों से भी इज़हार-ए-तशक्कुर किया।