सुन्नते सल्लललाहु अलैहि वसल्लम में कामयाबी-ओ-कामरानी

हैदराबाद 23 नवंबर: मुस्लमान ग़नी के दर को छोड़कर फ़क़ीरों के द्रपर भटक रहे हैं जिसकी वजह से उम्मत परेशानीयों में मुबतला है। हर मसले के लिए हमें अल्लाह से रुजू होने की ज़रूरत है लेकिन हम मसाइल के हल के लिए दुनियावी शख़्सियतों से रुजू करते हुए अल्लाह और इस के रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते की मुख़ालिफ़त के मुर्तक़िब बन रहे हैं। फुज़ूलखर्ची और बे-जा रसूमात के साथ निकाह जैसी सुन्नत की तकमील करने वाले दरहक़ीक़त गुनाह के मुर्तक़िब बन रहे हैं।

मौलाना शौकत सीता पूरी ने तब्लीग़ी जमात के सहि रोज़ा इजतेमा से ख़िताब के दौरान इन ख़्यालात का इज़हार किया। मौलाना ने बाद नमाजे ज़ुहर अपने ख़िताब के दौरान उम्मते मुस्लिमा से अपील की के वो ख़ालिके कायनात से मसाइल को रुजू करें। उन्होंने अपने ख़िताब में उम्मते मोहम्मदिया में पैदा होने वाले बिगाड़ की वजूहात का तज़किरा करते हुए कहा कि क़ुरआन का फ़ैसला हैके नबी सल्लललाहु अलैहि वसल्लम की बिअसत के बाद नबी पाक सल्लललाहु अलैहि वसल्लम के अलावा किसी और रास्ते को इख़तियार किया और कामयाबी तलाश करने की कोशिश करते तो इस का मुक़द्दर सिर्फ़ तबाही होगा।

अपनी जरूरतों के लिए उमरा-ए- वुज़रा और मालदारों की तरफ देखने के बजाये उम्मत को चाहीए कि वो सबसे बड़े ग़नी ख़ालिके कायनात से रुजू करें चूँकि नबी सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा किराम अजमईन को जो तर्बीयत दी है वो यही हैके सहाबह ओ अपने बच्चों की सेहत ख़राब होने पर भी मस्जिद का रुख किया करते थे।

उन्होंने बताया कि किसी भी मसले पर इन्सानी तदबीरों के बजाये अल्लाह से रुजू करें चूँकि सहाबह का ये अमल था। मौलाना ने बताया कि हर शए से फ़ायदा उठाने के मुख़्तलिफ़ तरीक़े होते हैं और अल्लाह के ख़ज़ानों से रास्त इस्तेफ़ादा के लिए जो तरीक़ा बताया गया है वो नमाज़ है।

जिसके ज़रीये अल्लाह के ख़ज़ानों से फ़ायदा उठाया जा सकता है। मौलाना शौकत ने बताया कि रबउलइज़त बारहा क़सम खाते हुए ये कह चुका हैके जो हाथ मेरे आगे उठते हैं इन हाथों को किसी और के आगे ज़िल्लत-ओ-रुस्वाई नहीं उठानी पड़ेगी। उस के बावजूद उमत दरबदर की ठोकरें खा रही है। ये हमारी ज़लालत है और इस में कामयाबी तलाश कर रहे हैं।

मौलाना शौकत ने कहा कि अल्लाह अपने बंदों को आवाज़ दे रहा है के ए मेरे बंदे मुझे छोड़कर किस का रुख करता है क्या तुझे मुझसे ज़्यादा करीम और ग़नी कोई मिल गया है ?। उन्होंने कहा कि इमान की इस से बढ़कर तौहीन और कुछ नहीं हो सकती के हम इमान रखते हुए अपनी जरूरतों के लिए ग़ैर अल्लाह की तरफ़ देख रहे हैं।

मौलाना ने बाद नमाज़-ए-अस्र मुनाक़िदा निकाह तक़ारीब के एहतेमाम से पहले अपने ख़िताब के दौरान निकाह में अंजाम दी जाने वाली बेजा रसूमात की मज़म्मत करते हुए कहा कि अफ़सोस इस सरज़मीन दक्कन पर निकाह तक़ारीब में लाखों रुपये ख़र्च किए जाने की इत्तेलाआत मौसूल हो रही हैं और तक़ारीब में 14 इक़साम के खाने रखे जा रहे हैं। मौलाना शौकत ने बताया कि अब वक़्त आचुका है के हम अल्लाह के रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम के बताए तरीकके से निकाह को आम करें।