नई दिल्ली। मुल्क की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी फैसला होता है, उसके दिए फैसले को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी मानना पड़ता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक शख्स ने प्रोपर्टी के झगड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जौनपुर जिले की सिविल अदालत में चुनौती दे डाली है।
सिर्फ यही नहीं, सिविल जज भी अदालती अनुशासन और नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के खिलाफ याचिका की सुनवाई करने को तैयार हो गए और सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट में प्रोपर्टी का कानूनी मालिकाना हक जीतने वाले विपक्षी के लिए खिलाफ नोटिस जारी कर दिया।
अब सुप्रीम कोर्ट में जज जे एस केहर और जज सी नागाप्पन की पीठ ने सबसे बड़ी अदालत के हुक्म को निचली अदालत में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता मथुरा के आचरण पर याचिकाकर्ता को अवमानना नोटिस जारी किया है और अगली तारीख पर पेश होने को कहा है।
जौनपुर जिले के एक गांव के रहने वाले मथुरा और शोभनाथ के बीच एक एकड़ जमीन के झगड़े को लेकर 1981 में मुकदमेबाजी शुरू हुई थी। अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश ने वर्ष 2009 में शोभानाथ के पक्ष में निर्णय दिया जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 2013 में बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश पर मुहर लगा दी और 12 दिसम्बर 2013 को मथुरा की अपील खारिज कर दी। मथुरा ने सुप्रीम कोर्ट के हुक्म को पसन्द नहीं किया और पांच माह बाद ही निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए जौनपुर जिला सिविल जज की अदालत में मुकदमा दायर कर दिया।