सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: धर्म, जाति और समुदाय के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि मतदान और चुनाव प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि प्रचार के दौरान इस तरह से धर्म का इस्तेमाल करना अवैध है।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धर्म, भाषा, समुदाय और जाति के आधार पर कोई उम्मीदवार या उसका प्रतिनिधि चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है। 7 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में 4 न्यायाधीशों ने इस फैसले पर अपनी सहमति दी, जबकि 3 इसके विरोध में थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खुदा और इंसान के बीच संबंध व्यक्तिगत चयन है। धर्म से जुड़े मुद्दों पर अमल करने की स्वतंत्रता का देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र से कुछ लेना देना नहीं है।