सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी इमाम व मोअज़्ज़न को नहीं मिल रही पूरी तनख्वाह

भोपाल। मध्य प्रदेश की मुस्लिम सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार पर इमाम व मोअज़्ज़न के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि एक तरफ सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा लगा रही है तो वहीं दूसरी ओर इमाम व मोअज़्ज़न के वेतन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किया था, प्रांतीय सरकार इसका कार्यान्वयन करने से कतरा रही है । वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली मस्जिदों के इमामों और मोअज़्ज़न के वेतन में वृद्धि की मांग कोई नई नहीं है। मुस्लिम संगठन एक समय से इसमें वृद्धि किए जाने की मांग कर रही हैं।

मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के तहत राज्य की जितनी भी मस्जिदें हैं उनके इमाम व मोअज़्ज़न को जितनी तनख्वाह दी जाती है वे दैनिक मजूदूर से भी कम है। महंगाई के इस दौर में इमाम व मोअज़्ज़न अपने खर्च कैसे पूरे करते होंगे इसका अंदाजा बखूबी किया जा सकता है। ऐसे में मध्य प्रदेश के मुस्लिम संगठनों ने एक बार फिर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार से दो दो हाथ करने का मन बना लिया है।

मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार मुस्लिम हित के साथ खिलवाड़ कर रही है। यही कारण है कि इमाम व मोअज़्ज़न के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 मई 1993 को जो आदेश दिया गया था उसका कार्यान्वयन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 1993 को इमाम व मोअज़्ज़न के लिए जो फरमान जारी किया था उसके अनुसार इमामों को पांच हजार चार सौ रुपये व मोअज़्ज़न को चार हजार चार सौ रुपये मासिक भुगतान किया जाना था। वर्तमान में मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के तहत इमाम व मोअज़्ज़न को जो वेतन भुगतान किया जाता है वह हजार और बारह सौ रुपये मासिक ही है।

उधर मध्य प्रदेश में इमाम व मोअज़्ज़न को सुप्रीम कोर्ट के फरमान के अनुसार वेतन भुगतान न किए जाने को लेकर अखिल भारतीय मुस्लिम समिति ने राज्य स्तर पर आंदोलन चलाने के साथ अब फिर अदालत से संपर्क करने का फैसला किया है।