नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर वाक़े एक सरकारी लैब को यह साबित करने के लिए कहा है कि मैगी नूडल्स पर की गई उसकी जांच में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) तय मेयार में पाए गए हैं या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने देश की गिजाई रेगुलेटरी इदारे (FSSAI) को भी मैगी नूडल्स के और सैंपल मैसूर लैब भेजने के लिए कहा है। ,सुप्रीम कोर्ट ने यह हुक्म लैब की दो मांगों को ध्यान में रखते हुए दिया है, जिसमें लैब ने लेड और MSG के अलावा दूसरे पैरामीटरों की जांच के लिए और ज़्यादा सैंपल की मांग की थी।
जस्टिस दीपक मिश्रा ने आज कहा, ‘हमने जांच रिपोर्ट पढ़ी है। हम चाहते हैं कि सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर कोर्ट को दो पहलुओं से आगाह कराए, पहला यह कि लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामिक एसिड की मिक़दार को लेकर की गई जांच में ये मेयारी इजाज़त के अंदर हैं या नहीं, और दूसरा यह भी वाज़ेह करना है कि ये फ़ूड सेफ्टी एक्ट के तहत मक़रर्रा मेयार के अंदर हैं या नहीं।’
मैगी बनाने वाली नेस्ले इंडिया ने शुरू में जांच के लिए और सैंपल भेजने का एहतजाज किया और कहा कि कोर्ट ने दिसंबर में लैब को सिर्फ लेड और MSG की जांच करने के लिए ही कहा था, लेकिन बाद में उसने कहा कि अगर लैब पहले लेड और MSG के लिए जांच करेगी, तो उसे इस पर कोई शिकायत नहीं होगी।