सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार का दावा- सूखे से परेशान एक भी किसान ने नहीं की खुदकुशी, निजी वजहों से दी जानें

नई दिल्ली- सूखे से भुखमरी की कगार पर पहुंचे तमिलनाडु के किसान जंतर मंतर पर अपने परिजनों के कंकाल लेकर प्रदर्शन करते रहे । किसानों का कहना था कि सूखे की वजह से उनके परिजनों ने आत्महत्या की है लेकिन अब तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो कहा है वो हैरान करने वाला है।

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कहा है कि राज्य में एक भी किसान ने सूखे की वजह से खुदकुशी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट को सौंपे एक हलफनामे में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है, “राज्यभर के जिन किसानों की मौत हुई है वो या तो हार्ट अटैक से हुई है या बीमारी से। उनमें से कुछ ने खुदकुशी की भी है तो उसकी वजह सूखा नहीं व्यक्तिगत है।”

हलफनामा में कहा गया है कि राज्य सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और हमेशा से उन्हें मदद करती रही है। एफिडेविट में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने अब तक मरे 82 किसानों के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये की दर से कुल 2.46 करोड़ रुपये मुआवजा के तौर पर बांटा है । सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया है कि नोटबंदी के दौरान तमिलनाडु सरकार ने 3 लाख 48 हजार 323 किसानों के बीच कुल 1840.79 करोड़ रुपये का लोन बांटा है।
दिल्ली में किसानों के आंदोलन को देखते हुए तमिलनाडु सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन संस्था की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा था । उसी के जवाब में राज्य सरकार की तरफ से हलफनामा दायर किया गया है।
तमिलनाडु के किसानों ने 39 दिनों तक दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध-प्रदर्शन किया था। ये किसान केंद्र सरकार से लोन माफी की मांग कर रहे थे। उन किसानों का कहना था कि उनकी फसल कई बार आए सूखे और चक्रवात में बर्बाद हो चुकी है। लिहाजा, सरकार उन्हें कर्ज से मुक्त करे । किसानों ने उन लोगों को मिलने वाले राहत पैकेज पर भी पुनर्विचार करने की मांग की थी। किसानों की यह भी मांग थी कि उनको अगली साल के लिए बीज खरीदने दिए जाएं और हुए नुकसान की भरपाई की जाए।