नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी में पीड़ितों के लिए मेमोरियल बनाने के लिए चंदे में हेरफेर की आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके ट्रस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इस मामले पर अदालत में सुनवाई हुई। जहां गुजरात सरकार ने कहा कि तीस्ता ने सेकुलर शिक्षा के लिए फोर्ड फाउंडेशन से मिले पैसे को अपने व्यक्तिगत कामों के लिए खर्च किया, इसमें शराब पर किया गया खर्च भी शामिल था।
जिसपर तीस्ता सीतलवाड़ ने अदालत से कहा कि 7 साल में शराब पर सिर्फ 7,850 रुपये खर्च किये गये, और ये खर्च भी फोर्ड फाउंडेशन, जिसने कि दान में पैसे दिये थे, द्वारा इजाजत के बाद खर्च किया गया था। तीस्ता ने कहा कि क्या यह एक अपराध है?
इस मामले में कपिल सिब्बल ने कहा, ‘गुजरात पुलिस उन पर बेवजह दबाव बना रही है। ये सरकार का दुर्भावनापूर्ण कदम है।
सरकार खुद इतना नीचे लेवल पर गिर जाएगा, मैंने कभी नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि सरकार सात सालों में 7870 रुपये के खर्च को बढ़ा चढ़ाकर बता रही है. इन बिलों में शराब के चंद रुपये थे लेकिन सरकार ऐसे बता रही है जैसे लाखों रुपये खर्च कर दिए हों।