विज्ञापन पर सरकारी पैसों की बर्बादी पर सुप्रीम कोर्ट ने छह राज्यों को नोटिस!

जनता की खून कमाई के पैसे को सरकारी विज्ञापनों पर खर्च करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी हाजिर की है। कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों से संबंधित दिशानिर्देशों के पालन न करने के मामले में केंद्र सरकार, भारतीय जनता पार्टी और छह राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया।

आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा की याचिका पर जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और बीजेपी के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने नोटिस के जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि बीजेपी शासित राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड) और तेलंगाना में सरकारी विज्ञापनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। याचिका में कहा गया है कि इन राज्यों में विज्ञापनों में राजनीतिक उद्देश्य के तहत व्यक्ति विशेष को बढ़ावा देकर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी की तस्वीर न लगाने का आदेश दिया था।

हालांकि केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने बाद में इस आदेश की समीक्षा का शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था। मार्च 2016 में शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और राज्य के मंत्रियों की तस्वीरें भी लगाने की अनुमति दे दी थी।

मुंबई के एक कार्यकर्ता के आरटीआई के जवाब में मई में यह सामने आया था कि मोदी सरकार ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद 4,343 करोड़ रुपए प्रचार पर खर्च किए हैं।

यह धनराशि प्रिंट व इलेक्ट्रिानिक मीडिया और बाहर के विज्ञापनों पर खर्च की गई है। इससे पहले एक आरटीआई जवाब में खुलासा हुआ था कि सरकार ने बीते साल अक्टूबर तक प्रचार पर 3,755 करोड़ रुपए खर्च किए थे।