नई दिल्ली: वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर ने मर्कज़ी इन्फ़ार्मेशन कमीशन से कहा कि वो मुजाहिद आज़ादी सुभाषचंद्र बोस से मुताल्लिक़ फाईलों को मुंकशिफ़ नहीं करसकता क्योंकि इस से बैरूनी मुल्कों के साथ ताल्लुक़ात पर मनफ़ी असर पड़ सकता है। कल सी आई सी के सामने समात के दौरान पी एम ओ ने ये एतराफ़ किया कि सुभाषचंद्र बोस से मरबूत फाईलों को वो अपने पास रखता है लेकिन इस में से कोई भी ख़ास मालूमात फ़राहम नहीं की गई हैं।
इसका कहना है कि बैरूनी मुल्कों के साथ ताल्लुक़ात को ज़हन में रखकर इन फाईलों की तफ़सीलात ज़ाहिर नहीं करसकता। इस आला दफ़्तर ने दफ़ा 8(1)a का हवाला दिया जिसमें हुकूमत को इस बात की इजाज़त दी गई है कि वो अहम मालूमात को अपने ही पास रखे उन्हें ज़ाहिर ना किए जाएं।
ख़ासकर हिन्दुस्तान के मुक़तदिर और यकजहती सिक्योरिटी या मआशी मुफ़ादात से मुताल्लिक़ मालूमात को महफ़ूज़ रखा जाये। उस के अलावा बैरूनी मुल्कों के साथ ताल्लुक़ात को भी ज़रब पहुंचाने वाले वाक़ियात को भी पोशीदा रखा जाना ही मुनासिब है। आर टी आई कारकुन सुभाष अग्रवाल जिन्होंने सुभाषचंद्र बोस से मुताल्लिक़ दस्तावेज़ात को मुंकशिफ़ करने का मुतालिबा किया था कहा कि आर टी आई क़ानून की दफ़ा 8(2) के तहत अवाम को मालूमात फ़राहम करने चाहिए।