सुर-लय-ताल से सजी स्वर-लहरियां जमकर बरसी!

नई दिल्ली: राजधानी के कमानी सभागार में शुरू हुए तीन दिवसीय 13वें सामापा संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन भी स्वर-लहरियां जमकर बरसी।

सुर-लय-ताल से सजी इस संगीत संध्या में युवा कलाकार दिव्यांश श्रीवास्तव के संतूर, वरिष्ठ कलाकार बहाउद्दीन डागर की रूद्र वीणा, और पंडित विद्याधर व्यास के गायन सहित पंडित विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में स्वर-लय-संवाद ने खूब वाह-वाही लूटी।

कार्यक्रम की शुरूआत छात्रों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुई, जिसके बाद दिव्यांश श्रीवास्तव ने राग कौशिक रंजनी में साढ़े दस मात्रा में गत, उसके बाद अति द्रुत तीन ताल प्रस्तुत कर अपने संतूर रस से उपस्थित श्रोताओं को सराबोर किया। दिव्यांश का सशक्त कला-कौशल ने सभी को प्रभावित किया और कमानी सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

दूसरे दिन की दूसरी प्रस्तुति रूद्र वीणा पर बहाउद्दीन डागर की रही। उन्होंने राग नंद कौंस का प्रस्तुत करते हुए संगीत स्वर-लहरियों को आगे बढ़ाया। इसके बाद पं. विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में स्वर-लय-संवाद का आयोजन हुआ जिसमें शरबरी बनर्जी व पदमजा चक्रवर्ती के गायन, मनोज मिश्रा व आशीष मिश्रा के तबला और घनश्याम सिसोदिया की सांरगी ने एक अलग ही अंदाज में सर्द शाम के दौरान महौल बनाया।

इस प्रस्तुति में राग पूरिया कल्याण में दो रचनाये और राग हंस ध्वनि में दो रचनायें थी, जो रूपक व तीन ताल में थी। इस प्रस्तुति की खास बात यह रही कि चारों कलाकारों की बराबर भागीदारी के साथ संवाद हुआ, जो अपने आप में देखते सुनते बनता था। कार्यक्रम के दूसरे दिन की अंतिम प्रस्तुति पंडित विद्याधर व्यास (गायन) की रही।

उन्होंने राग गौरख कल्याण में विलम्बित बड़ा खयाल ‘धन धन भाग गोरी तोरे’, मध्य लय तीन ताल में दु्रत रचना ‘पायलिया छुन छनन’, एक तराना, राग दुर्गा में जप ताल की बंदिश ‘सखी मोरी’, सहित एक नया राग भवानी प्रस्तुत किया।