जदयू के रियासती तर्जुमान और विधान पार्षद संजय सिंह ने जुमेरात को कहा कि खज़ाना वज़ीर रहते हुए सुशील कुमार मोदी ने रियासती हुकूमत को 50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। पत्थर कारोबारियों को फ़ायदा दिलाने के लिए उन्होंने यह कार्रवाई की।
इसके लिए उनके खिलाफ मुकदमा किया जाना चाहिए। साथ ही अगर कोई अफसर मुजरिम हैं, तो उनके खिलाफ भी मुकदमा हो। हुकूमत भाजपा कोटे के दीगर वुजरा के मुद्दत की भी जांच कराये, ताकि असलियत का अंदाजा हो। प्रेस कोन्फ्रेंस में मिस्टर सिंह ने कहा, मौजूदा ज़ाती महकमा वज़ीर होने के बावजूद सुशील कुमार मोदी का यह कहना कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, दिलचस्प है।
अगर यह मामला कैबिनेट में जाता, तो वज़ीरे आला या रियासती हुकूमत को पूरे मामले की जानकारी होती। बिना कैबिनेट की मंजूरी के ही नोटिफिकेशन निकाली गयी। छह साल तक यह खेल होता रहा।
आखिर वह कैसे वज़ीर थे कि उन्हें ज़ाती महकमा वारदातों की भी जानकारी नहीं थी। मिस्टर सिंह ने सीधे तौर पर इल्ज़ाम लगाया कि मोदी की कारोबारियों से सांठ-गांठ थी। ट्रेन में हुई नक्सली वारदात पर जब सीएम को जिम्मेवार बताया जाता है, तो मोदी ज़ाती महकमा वज़ीर के नाते जिम्मेवार क्यों नहीं हो सकते? इंचार्ज वज़ीरों से एवान में जवाब नहीं सुनने की भाजपा की ऐलान पर जदयू तर्जुमान ने कहा कि भाजपा ने यह गलत रिवायत की शुरुआत की है। मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में भी वज़ीरे आला के पास कई महकमा हैं, तो क्या वहां का ओपोजीशन जवाब नहीं सुनता।