उत्तरप्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर फ़साद में जहां सियासी पार्टियों का रोल ग़ैर इतमीनान बख्श रहा वहीं मुस्लिम तनज़ीमों ने मुसीबत ज़दों और मज़लूमीन की मदद और रीलीफ़ के कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जो वक़्त की अहम ज़रूरत और मुसीबत ज़दा भाईयों की इमदाद के लिए बहुत ज़रूरी था।
आज मुसल्मानों की राय है कि बी जे पी ने ये गंदी साज़िश के तहत यूपी के अक्सरियती फ़िर्क़ा को हमनवा बनाने के लिए फ़साद बरपा करवाए वहीं मुसल्मानों को इस बात की भी शिकायत है कि हुक्मराँ समाजवादी पार्टी ने फ़साद को क़ाबू में करने और ज़ालिमों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने में अदम दिलचस्पी का मुज़ाहरा किया।
ये तो अल्लाह का करम है और क़ुरआन-ओ-हदीस का सबक़ है कि मुसल्मान अपने भाईयों पर होने वाले ज़ुल्म के ख़िलाफ़ राहत कारी और रीलीफ़ के कामों में गोशे गोशे से निकल पड़ते हैं। तांती बाग़ प्रोगरेसिव सुसाइटी ने भी सर्द लहर को देखते हुए पाँच सौ गर्म लिबास इमारत शरिया के मार्फ़त वहां तक़सीम करवाए जो तकरीबन 75 हज़ार रुपये के थे|
अदालती कार्रवाई के लिए ऑल इंडिया मिली कौंसिल को 25 हज़ार रुपये दिया। इस से पहले भी आसाम के फ़साद के मौक़ा पर भी कमेटी ने 2 लाख 75 हज़ार रुपये के अजनास, दवा , कपड़े और टेंट बनवाकर मज़लूमीन की मदद करचुकी है।