सूखाग्रस्त लातूर में खूब चांदी कूट रहे हैं ‘पानी वाले बाबा’

यह कोई अंधविश्वास नहीं है यह तो विज्ञान है” यह कहना है लातूर में अपने अलग ही तरीके से पानी खोजने वाले बाबा चनप्पा मिथकरी का जो यहाँ पानी वाले बाबा के नाम से भी मशहूर हैं। मराठवाड़ा में पानी की कमी से परेशान लोगों की दास्ताँ किसी से भी छुपी नहीं है। एक तरफ जहाँ 100-100 साल पुराने पानी के कुएं भी इस बार के सूखे में सूख चुके थे वहीँ चनप्पा जैसे बाबा अपने ख़ास तरीकों से पानी का पता लगाने का काम करते हैं ताकि वहां बोरवेल लगाकर लोगों की पानी की समस्या हल की जा सके। हालाँकि सरकार के पास पानी खोजने की मशीनरी मौजूद है और चनप्पा जैसे बाबाओं से भी काम खर्च में सरकार पानी खोजने का काम करती है लेकिन लोगों का कहना है कि चनप्पा का तरीका सरकारी तरीके से महंगा चाहे है लेकिन ज़्यादा सटीक है।

एक जगह पानी ढूंढने के लिए चनप्पा जहाँ 5 से 10 हज़ार रूपये लेते हैं वहीँ इस काम को करने के लिए सरकार करीब 1500 रूपये की फीस लेती है। फिर भी हालात यह हैं कि चनप्पा के पास पूरे साल में खली वक़्त नहीं रहता है और सरकारी मशीनरी धूल खा रही है।