चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार एक अहम आदेश देते हुए तमिलनाडु सरकार को सूखा प्रभावित किसानों के कर्ज माफ करने को कहा है। हाईकोर्ट ने सहकारी समितियों और बैंकों को उनसे बकाया कर्ज वसूलने से रोकने के निर्देश दिये।
अदालत ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत गंभीर है और वह सूखे से प्रभावित रहे इस साल में अकेले ही कर्ज का बोझ उठा रहा है। सूखे की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अदालत ने सुझाव दिया कि केन्द्र को इस मुश्किल समय के दौरान तमिलनाडु की वित्तीय मदद करने के लिए आगे आना चाहिये।
न्यायमूर्ति एस नागमुथू और न्यायमूर्ति एम वी मुरलीधरन की खंडपीठ ने नेशनलिस्ट साउथ इंडियन रिवर इंटरलिंकिंग एग्रीकल्चरिस्ट एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है ।
अदालत ने सहकारी, खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग तथा सहकारी समितियों के पंजीयक को 2016 के दो सरकारी आदेशों के तहत सभी किसानों के फसल कर्ज माफ करने की योजना को बढ़ाने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, हम जानते हैं कि राज्य की वित्तीय स्थिति गंभीर है। मुख्य सचिव ने महाधिवक्ता को लिखे पत्र में ही यही बात दोहरायी है। सरकार अकेले अपने कंधो पर 5,780 करोड़ रुपये का बोझ उठा रही है और यह उसके लिए 1,980.33 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ होगा।
अदालत ने कहा कि इस मुश्किल समय में केन्द्र सरकार मूक दर्शक बने नहीं रह सकती और उसे इस बोझ को साझा करने के लिए राज्य सरकार की मदद के लिए आगे आना चाहिये।
तमिलनाडु के लगभग 100 किसान दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठ थे। इनमें ज़्यादातर वो किसान थे जिनके परिजनों ने सूखे और कर्ज की वजह से मौत को गले लगा लिया था। मद्रास हाईकोर्ट का ये आदेश किसानों के लिए जीवनदान से कम नहीं है।