सूती आलूदगी पर कार्रवाई क्यों नहीं: हाइकोर्ट

बॉम्बे हाइकोर्ट ने आज हुकूमत महाराष्ट्र की सरज़निश की जो मज़हबी तक़ारीब के मुंतज़मीन के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई नहीं कररही है जो सूती आलूदगी का इर्तिकाब करते हैं। जस्टिस अभए अविका और जस्टिस ए एस गडकरी पर मुश्तमिल बेंच ने हुकूमत से इस्तिफ़सार किया कि मज़हबी तक़ारीब के मुंतज़मीन को इस ने नए लाईसैंस क्यों जारी किए क्योंकि माज़ी में वो सूती आलूदगी के क़वाइद की ख़िलाफ़वरज़ी करचुके हैं।

अदालत डाक्टर महेश बडीकर की दायर करदा मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त की समाअत कररही थी जिस में कहा गया कि क़रीबी ज़िला थाने में आवाज़ की आलूदगी की सतह इंतेहा को पहूंच चुकी है। हुकूमत और दीगर मुद्दई अलीहान का ये मौक़िफ़ था कि पुलिस ने इन मामलात में एफ़ आई आर दर्ज की है लेकिन अदालत ने कहा कि ख़िलाफ़वरज़ी के मरतकबीन को सज़ा क्यों नहीं दी गई।

दरख़ास्त में ये मुतालिबा किया गया कि मज़हबी तक़ारीब के मुंतज़मीन से जिन्हें लाईसैंस दिया जाता है भारी रक़म बतौर ज़मानत ली जानी चाहिए और अगर वो सूती आलूदगी क़वाइद की तामील ना करें तो ये रक़म ज़ब्त कर लेनी चाहिए। अदालत ने इस मामले की समाअत 21 नवंबर को मुक़र्रर की।