सूदी कारोबार की क़ानूनी और ग़ैर क़ानूनी ज़ुमरों में तक़सीम ,करप्शन के फ़रोग़ काज़रीया

हैदराबाद 2 फरवरी (सियासत न्यूज़) किसी दानिश्वर ने कहा था ज़हर-ए हलाहल को शहद में घोल देने से इस की असलीयत तब्दील नहीं हो जाती ,वो अपना मनफ़ी असर हर सूरत में ज़ाहिर करहि देता है… ठीक इसी तरह किसी ग़लत अमल को क़ानून का लुबादा ओढ़ा देने से वो किसी भी क़ौम व मुलक केलिए बेहतरी का सबब नहीं बन जाता ।इस क़ायदा कुल्लिया के तहत ,सूद और सूदी कारोबार … क़ानूनी होया गै़रक़ानूनी..समाजी और अख़लाक़ी दोनों एतबार से नुक़्सानदेह ही है । यही वजह है कि मज़हब इस्लाम ने ए से सिरे से ही हराम क़रार दे दिया ताकि इस लानत से इंसानियत महफ़ूज़ रहे ।

मआशी निज़ाम के हवाले से मज़हब इस्लाम का ये वो उसूल है जिसे मुकम्मल तौर पर इख़तियार किया जाय तो हज़ारे की हज़ारों तहरीकें इस पर क़ुर्बान हो जाउंगी और मुल्क से कुरप्शन और बद उनवानी का ख़ातमा हो जाऐगा।जहां तक शहर भर में गैरकानूनी फ़ेनानसरस के ख़िलाफ़ चलाई जाने वाले पोलीस मुहिम का सवाल है, तो इस हवाले से शहर के संजीदा अफ़राद इस बात पर मुत्तफ़िक़ हैं कि ये मुहिम उसी वक़्त कामयाब होसकती है जब वो क़ानूनी एतबार से सरगर्म फ़ै ना नस्रों की सरगर्मीयों का भी संजीदगी से जायज़ा ले चूँकि बावसूक़ ज़राए के मुताबिक़ शहर में ऐसे कई फ़ेनानसर हैं जो हुकूमत को अदा किए जाने वाले टैक्स से बचने केलिए गैरकानूनी अफ़राद के ज़रीया अपना कारोबार जारी रखे हुए हैं,

और हुकूमत को बताने केलिए अलग और कारोबार केलिए अलैहदा रसीदें जारी करते हैं और इस काम में वो पोलीस ओहदेदार मुआविन साबित होते हैं जिन्हें इमानदारी के साथ इन का मामूल दे दिया जाता है । बताया जाता है कि इस तरह के कारोबार क़ानूनी कम और गैरकानूनी ज़्यादा होते हैं । ऐसा नहीं है कि महिकमा पोलीस को इस तरह के चालों का इलम नहीं है ,ख़ुसूसन पोलीस के आली ओहदेदारों को इस बात का बख़ूबी इलम है मगर बताया जाता है कि निचली सतह परमौजूद कुरपट ओहदेदारों की मिली भगत से उनके ख़िलाफ़ मतलूबा कार्रवाई से गुरेज़ किया जाता रहा है।ज़राए के मुताबिक़ शहर में मौजूद इस तरह के बाअसर सूदखोर पाबंदी के साथ इन पोलीस ओहदे दरारों को उनका हिस्सा भेज दिया करते हैं ।और जो सूदखोर एसा नहीं करते उसे ब्लैक लिस्टेड करते हुए मुनासिब मौक़ा परसबक़ सिखाने का इंतिबाह जारी कर दिया जाता है।

दूसरी तरफ़ शहर के एक बुज़ुर्ग मिर्ज़ा ताहिर बैग का कहना है कि सूद ,सूद होता है , जो किसी भी मआशी निज़ाम के लिए सूदमंद नहीं होसकता मगर हुकूमत ने उसे अपने मुफ़ाद के लिए क़ानूनी और गैरकानूनी ज़मरों में तक़सीम कर दिया है जिस की वजह से अक्सर फ़ेनानसर यह सूदखोर टैक्स की अदायगी से बचने केलिए क़ानूनी फ़ै नानसिंग के आड़ में गैरकानूनी तरीके से अपना कारोबार जारी रखने की कोशिश करते हैं और इस कोशिश में वो हर इस मसले को रिश्वत के ज़रीया हल कर लेते हैं जो उनके कारोबार में रुकावट साबित होरहे हूँ।और इस तरह क़ानूनी और ग़ैर क़ानूनी तक़सीम ,मलिक और समाज में कुरप्शन को फ़रोग़ देने का बिलवासता ज़रीया बन रहा है।

अना हज़ारे की कुरप्शन के हवाले से चलाई जा रही तहरीक से मसासर इस बुज़ुर्ग शहरी के मुताबिक़ ,गैरकानूनी सूदी कारोबार होया और कोई का लाधनदा ,पोलीस में मौजूद कुरपट ओहदेदार ही उसे कामों में इज़ाफ़ा का सबब बनते हैं ,इसलिए इन का कहना है कि वक़फ़े वक़फ़े से चंद सूदखोरों की गिरफ़्तारी से ना सूदी कारोबार का ख़ातमा होसकताहै और ना ही इस से गरीब और ज़रूर मंद अफ़राद का भला हो सकता है लिहाज़ा उनका कहना है कि महिकमा पोलीस अगर फ़िलवाक़ै ज़ालिम सूदखोरों का सफाया करना चाहती है तो उसे पहले महिकमा पोलीस में मौजूद कुरपट ओहदेदारों के ख़िलाफ़ संजीदगी से कार्रवाई करनी होगी वर्ना इस तरह के मुहिम से अवाम का भला होना हो ,रिश्वतखोर पोलीस ओहदेदारों की आमदनी में इज़ाफ़ा का सबब ज़रूर बन जाएगा।