दिल्ली हाईकोर्ट ( उच्च न्यायालय) ने शहर के सेंट स्टीफ़न अस्पताल के 42 साला दस्तूर में तबदील करके इस में ग़रीबों के मुफ़्त ईलाज की शर्त शामिल करने के मर्कज़ के फ़ैसला पर अमल दर आमद (Implement/कार्यान्वयन) रुकवा दिया है।
जज मनमोहन सिंह ने कल मर्कज़ (केंद्र) के 2 फरवरी वाले हुक्म पर अमल दर आमद रोकने का हुक्म दिया जिस के ज़रीया अस्पताल को हिदायत दी गई थी कि वो अपने लीज़ डीड में एक ताज़ा शर्त शामिल करते हुए ग़रीब मरीज़ों का ईलाज मुफ़्त करे।
हाईकोर्ट ने शहरी तरक़्क़ी की वज़ारत और दिल्ली हुकूमत (ministry of urban development and the Delhi government )को छः हफ़्तों के अंदर अस्पताल की अर्ज़ी का जवाब देने की भी हिदायत दी।
अस्पताल के वकील ने अदालत को बताया कि सेंट स्टीफ़न अस्पताल एक अक़ल्लीयती इदारा(minority institution/ अल्पसंख्यक संस्था) है जिसे मर्कज़ ने 1970 में मुस्तक़िल लीज़ पर ज़मीन दी थी। ग़रीब मरीज़ों को मुफ़्त ईलाज मुहय्या कराने वाली नई शक़ का इज़ाफ़ा लीज़ डीड (lease deed) की शर्तों की ख़िलाफ़वर्ज़ी है। याद रहे कि मुल्क के तमाम हास्पिटल्स में ग़रीबों के मुफ़्त ईलाज के लिए हुकूमत ज़ोर देती आ रही है ।