सेक्युरिटी सूरत-ए-हाल का मुस्तक़िल जायज़ा ज़रूरी : सदर जम्हूरीया

पुने, 1 जून : ( पी टी आई ) दुनिया भर में सेक्युरिटी पस-ए-मंज़र में मुसलसल मसाइल और बोहरान पर तशवीश का इज़हार करते हुए सदर जम्हूरीया परनब मुखर्जी ने आज तजवीज़ किया कि मुल्क की सेक्युरिटी एजेंसियों को चाहीए कि वो मुस्तक़िल बुनियादों पर सेक्युरिटी सूरत-ए-हाल का जायज़ा लेते रहे ताकि किसी भी ख़तरा का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके । सदर जम्हूरीया ने यहां एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए कहा कि ये तशवीश की बात है कि बैनुल अक़वामी सेक्युरिटी पस-ए-मंज़र में मुसलसल गिरावट आती जा रही है । ऐसी सूरत में ज़रूरी है कि हमारे मुल्क में सेक्युरिटी इदारे सूरत-ए-हाल का मुस्तक़बिल बुनियादों पर जायज़ा लेते रहें ताकि किसी भी ख़तरा का ज़बरदस्त जवाब दिया जा सके ।

मुखर्जी ने दिफ़ाई तैय्यारी में साईंस‍ ओ‍ टेक्नोलाजी के इस्तेमाल में इज़ाफ़ा की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि असरी टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से मुल्क की दिफ़ाई तैयारीयों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है । डीफेंस इंस्टीट्यूट आफ़ एडवांस्ड टेक्नोलाजी के कानोकेशन से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात की ज़रूरत है कि नॉलिज पर मबनी तरीका इख्तेयार किया जाये ताकि तख़लीक़ात के ज़रीया अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा किया जाये और उन्हें मुस्तहकम किया जा सके । उन्होंने कहा कि पॉलीसी साज़ी भी ऐसी होनी चाहीए जिस के नतीजा में मसाइल की निशानदेही हो सके रुजहानात को उजागर किया जा सके और ऐसे हालात पैदा किए जाएं और ऐसी पॉलीसी तैयार की जाये जिस के नतीजा में किसी भी बोहरान से बचा जा सके ।

उन्होंने कहा कि हमारे मुल्क में ऐसे इदारों का जाल बिछाया जाना चाहीए जहां हमारे दिफ़ाई निज़ाम की फ़न्नी सलाहियतों का इज़ाफ़ा किया जाये और दिफ़ा‍ ओ‍ सेक्युरिटी के मसले पर कोई तशवीश बाक़ी ना रहने पाए ।

मुखर्जी ने कहा कि मुल्क ने आली मआशी तरक़्क़ी की हिक्मत-ए-अमली इख्तेयार की है ताकि ग़ुर्बत पर क़ाबू पाया जा सके और मुसावी तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाया जा सके । उन्होंने कहा कि हमारी मुस्तक़बिल की तरक़्क़ी नॉलेज पर मबनी मईशत पर इन्हेसार करेगी ।

हमारे आली तालीम के शोबा को इस चैलेंज से निपटने के लिए तैयार रहना चाहीए । उन्होंने कहा कि मुल्क में बेहतरीन इन्फ़िरास्ट्रकचर ज़ाइद अज़ 650 डिग्री अता करने वाले इदारों और 33,000 कॉलेज्स रहने के बावजूद हमारे पास तादाद और मीआर का फ़ुक़दान ( कमी) है । उन्होंने कहा कि मुल्क में अच्छी मयारी तालीम का फ़ुक़दान है उन्हों ने कहा कि एक सर्वे में बात आई है कि हिंदुस्तान का कोई भी तालीमी इदारा दुनिया की 200 आली तरीन यूनीवर्सिटीज़ में जगह पाने में नाकाम रहा है ।