राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न्यायपालिका द्वारा अपने अधिकारों के अतिक्रमण के मुद्दे पर बहस तेज कर दी है। कई सेलेब्रेटी ने इस फैसले की जमकर आलोचना की है। ऐसे ही एक सेलेब्रेटी है चेतन भगत जिन्होने कई ट्वीट कर राष्ट्रगान को थोपे जाने को निजी आज़ादी का उल्लंघन बताया। लेखक चेतन भगत ने गुरुवार को एक के बाद एक के कई ट्वीट में अंध राष्ट्रभक्ति पर जमकर निशाना साधा।
चेतन भगत ने ट्वीट किया, “फ़िल्मों से पहले राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से स्तब्ध हूं। राष्ट्रवाद थोपे जाने से निजी आज़ादी का उल्लंघन होता है।
उन्होंने कहा, “मैं कोई क़ानूनी विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन नहीं जानता कि किस प्रावधान के तहत सुप्रीम कोर्ट एक टिकट ख़रीदने वाले ग्राहक और सिनेमा मालिक के बीच निजी क़रार में हस्तक्षेप कर सकता है।”
चेतन भगत ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आधारहीन है।
चेतन भगत ने लिखा, “सभी टीवी कार्यक्रमों से पहले राष्ट्रगान क्यों नहीं? सभी खेलों से पहले क्यों नहीं? सेक्स करने से पहले भी राष्ट्रगान क्यों न गाया जाए? हास्यास्पद है।
भगत ने लिखा, “भारत को फासीवाद की ओर एक इंच भी बढ़ने नहीं दिया जाए. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को ऐसे ही रहने दो। सम्मानीय सुप्रीम कोर्ट, कृपया मामले निपटाइये. हमें ये न बताएं कि हम कैसे जिएं।
उन्होंने लिखा, “क्या हो अगर मुझे अपने देश और राष्ट्रगान से प्यार तो हो लेकिन मैं इसे अपने धर्म की तरह सार्वजनिक रूप से न दिखाना चाहूं तो? आप इसे थोप क्यों रहे है?
जो लोग राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी छातियां पीटने और अपनी आज़ादी को छोड़ने के लिए तैयार हैं, वो एक दिन पछताएंगे।
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इसे थोपा जाना व्यक्तिगत आज़ादी का उल्लंघन है. अवधि अप्रासंगिक है।आज़ादी मेरे देश का राष्ट्रवाद है। इसका रक्षा करूंगा। सदैव.
देशभक्ति।
हालांकि ट्वीटर चेतन भगत की इन टिप्पणी के बाद कई चेतन भगत की आलोचना के लिये भी उतरे और कई सर्मथन में भी।
अनीस माहेश्वरी ने चेतन भगत से सवाल किया, “कभी नहीं सोचा था कि आपके जैसे व्यक्ति को राष्ट्रगान से दिक्कत होगी। आज़ादी के नाम पर पहले ही बहुत कबाड़ा हो चुका है। इसे बंद करें।
इस चेतन ने जवाब दिया, “आपका तर्क कमज़ोर है लेकिन में राष्ट्रगान की बात नहीं कर रहा हैं। मैं आज़ादी पर राष्ट्र को थोपे जाने की बाद कर रहा हूँ। माफ़ करना अगर आपको आज़ादी से परेशानी है।
अपने ट्वीट में चेतन भगत ने भी कहा कि कमज़ोर विपक्ष की वजह से ही फासीवाद जैसा राष्ट्रवाद लाया जा रहा है।
चेतन भगत के ट्वीट पर अनुपम गुप्ता ने लिखा, “ऐसा लग रहा है जैसे चेतन भगत सुधर गए हैं।”