सेनारी नरसंहार : 15 लोग कैसे कर सकते हैं 34 लोगों की हत्या?

पटना: बिहार के अरवल जिले के चर्चित सेनारी नरसंहार कांड,जिस में 17 साल पहले सेनारी गांव में 34 लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी. कोर्ट के फैसले में 15 लोगों को दोषी करार दिया गया है जबकि 23 लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. नरसंहार पीड़ित परिवार के मुकेश कुमार का कहना है कि इस फैसले से गांव के लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ है. यह कैसे संभव है कि 15 लोगों ने मिलकर 34 लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी है. सेनारी गांव की आबादी 200 है.

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PRADESH 18 के अनुसार, इस निर्मम हत्याकांड में 15 नवंबर को दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया जाएगा. उसके बाद कोर्ट के फैसले को आगे चुनौती देने पर विचार किया जाएगा, उस घटना को याद करते हुए मुकेश कुमार कहते हैं कि उनके छोटे भाई नीरज कुमार और चाचा वीरेंद्र कुमार की निर्मम तरीके से गला काटकर हत्या कर दी गई थी. इस वारदात को अंजाम देने में आस पास गांवों के साथ बाहर के काफी संख्या में लोग शामिल थे. उनका कहना है कि उनके पक्ष को कोर्ट में सही ढंग से नहीं रखा गया.
मुकेश कुमार के अनुसार, उनके भाई और चाचा घर से बाहर बैठे हुए थे तभी पुलिस की वर्दी में कुछ लोग आएं और कहा कि रणवीर सेना के कुछ लोग पकड़े गए हैं. आप लोग चलकर उन्हें केवल पहचान कर लीजिए. फिर दोनों को गांव के बाहर मंदिर पर ले गए और निर्मम तरीके से हत्या कर दी. इसी तरह गांव से बुला-बुलाकर 34 लोगों की मंदिर के सामने हत्या कर दी गई थी.
17 साल पहले गांव के मंदिर के सामने इस नरसंहार को अंजाम दिया गया था. तब से आज तक उस मंदिर के द्वार बंद हैं. पिछले 17 सालों में यह मंदिर वीरान पड़ा हुआ है.गांव के लोगों ने इस मंदिर में पूजा पाठ करना बंद कर दिया है. ग्रामीणों के मुताबिक भगवान के द्वार पर लोगों की हत्या कर दी गई है. लिहाजा मंदिर में पूजा करने का क्या फायदा ?

सेनारी गांव के मनीष कुमार के परिवार के पांच लोग अमरेश शर्मा, विमलेश शर्मा, अवधेश शर्मा, राजू शर्मा और सजतानंद शर्मा की हत्या कर दी गई थी. उनका कहना है कि नरसंहार केस में 23 लोगों को बरी करना ठीक नहीं है. उन्होंने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की.
इस केस में फैसला 17 साल बाद आया है लेकिन कोर्ट के इस फैसले को सुनने के लिए केस की मुख्य गवाह चिंता देवी जिंदा नहीं है. चिंता देवी के पति और इकलौते बेटे की हत्या कर दी गई थी.